Pneumonia symptoms : मौसम बदलने पर निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। जानिए इसके लक्षण, कारण, उपचार और बचाव के आसान घरेलू उपाय ताकि फेफड़े स्वस्थ रहें।
How to Prevent Pneumonia : बदलते मौसम के साथ शरीर में कई बीमारियाँ घर करने लगती हैं, जिनमें से एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है बैक्टीरियल निमोनिया। खासकर ठंड के मौसम की शुरुआत में, यह संक्रमण तेजी से फैलता है और बच्चों, बुजुर्गों और कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए समस्याएं पैदा करता है।
हम अक्सर सर्दी, खांसी और बुखार को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कभी-कभी ये सामान्य लक्षण बैक्टीरियल निमोनिया की शुरुआत हो सकते हैं। अगर समय पर निदान और इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है।
फेफड़ों में पानी भरना नहीं, बल्कि बैक्टीरिया का हमला है निमोनिया
अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार, निमोनिया को लेकर सबसे बड़ी गलतफहमी है कि इसे फेफड़ों में पानी भरना समझा जाता है। जबकि असलियत यह है कि यह एक गंभीर संक्रमण है। हमारे फेफड़ों में हजारों छोटी-छोटी हवा की थैलियाँ (जिन्हें मेडिकल भाषा में वायुकोष्ठिका या Alveoli कहते हैं) होती हैं। ये थैलियां शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं। जब Streptococcus pneumoniae, Haemophilus influenzae या Staphylococcus aureus जैसे खतरनाक बैक्टीरिया खांसने या छींकने के ज़रिए इन थैलियों तक पहुंचते हैं, तो ये सूज जाती हैं और मवाद या तरल पदार्थ से भर जाती हैं। बस यहीं से सांस लेना मुश्किल हो जाता है और निमोनिया की गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है।
इस बीमारी के सबसे आम कारण स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा और स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया हैं। ये बैक्टीरिया आमतौर पर छींकने, खांसने या हवा में मौजूद कणों के जरिए फेफड़ों में प्रवेश करते हैं।
बैक्टीरियल निमोनिया के लक्षण अक्सर सर्दी-ज़ुकाम जैसे ही होते हैं, इसलिए इसे पहचानना मुश्किल हो सकता है। अगर खांसी के साथ पीला या हरा बलगम, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, लगातार बुखार और शरीर में बढ़ती कमज़ोरी हो, तो ये निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। खासकर बच्चों में, चेहरे का पीला पड़ना या अत्यधिक थकान जैसे लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
बुखार और बार-बार सर्दी-ज़ुकाम भी संक्रमण का संकेत हो सकते हैं। इसलिए, अगर ये लक्षण बने रहें या बिगड़ जाएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है।
निमोनिया को हल्के में लेना ख़तरनाक साबित हो सकता है क्योंकि यह सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं रहता। अगर इलाज में देरी होती है, तो यह कई गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है:
सेप्सिस (Sepsis): यह वह स्थिति है जब फेफड़ों का संक्रमण खून के ज़रिए पूरे शरीर में फैल जाता है और शरीर के अंगों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देता है।
सांस की विफलता: फेफड़े इतनी बुरी तरह संक्रमित हो जाते हैं कि वे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं दे पाते, जिससे कृत्रिम वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ सकती है।
फेफड़ों में मवाद (Empyema): कई बार फेफड़ों के आस-पास की जगह पर मवाद (पस) जमा हो जाता है, जिसके लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
इस बीमारी से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, जिनमें सांस लेने में तकलीफ, सेप्सिस (संक्रमण का पूरे शरीर में फैलना), और फेफड़ों में फोड़े या एम्पाइमा शामिल हैं। अगर तुरंत इलाज शुरू नहीं किया गया, तो यह स्थिति जानलेवा हो सकती है, खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए। इसलिए, उचित उपचार और सावधानियां बेहद जरूरी हैं।