Popcorn Brain Syndrome: साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर जया सुकुल के अनुसार, लगातार स्क्रीन टाइम से युवाओं में Popcorn Brain Syndrome बढ़ रहा है, जिससे नींद, फोकस और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
Popcorn Brain Syndrome: आज के डिजिटल दौर में ज्यादातर युवा दिनभर मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन पर समय बिताते हैं। सोशल मीडिया, वीडियो और गेम्स के बीच लगातार स्विच करते रहना अब दिमाग पर असर डालने लगा है। इसी स्थिति को विशेषज्ञ Popcorn Brain Syndrome कहते हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर जया सुकुल ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे यह नया मानसिक पैटर्न युवाओं के लिए खतरे की घंटी बनता जा रहा है।
डॉक्टर जया सुकुल के अनुसार, Popcorn Brain का मतलब यह नहीं कि दिमाग सचमुच फटने लगता है। यह स्थिति तब बनती है जब दिमाग को लगातार डिजिटल इनपुट यानी नोटिफिकेशन, वीडियो और ऐप्स से उत्तेजना मिलती रहती है। ऐसे में व्यक्ति एक चीज पर फोकस नहीं कर पाता और उसका ध्यान बार-बार भटकता है। ऑफलाइन रहने पर जीवन धीमा और बोरिंग लगने लगता है, क्योंकि ऑनलाइन दुनिया में सबकुछ तेजी से चलता है।
डॉक्टर जया सुकुल बताती हैं कि लगातार डिजिटल एक्सपोजर से दिमाग की कार्यप्रणाली बदलने लगी है। हमारा दिमाग हर पल नई चीजें देखने की इच्छा करता है, और सोशल मीडिया इसी इच्छा का फायदा उठाता है। धीरे-धीरे यह आदत थकान, तनाव, ध्यान की कमी और नींद की गड़बड़ी का कारण बन जाती है।
यह समस्या ज्यादातर टीनएजर्स और युवाओं में देखी जा रही है, लेकिन अब 30 से 45 वर्ष की उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टर जया सुकुल के अनुसार, यह Internet Addiction से अलग है। इंटरनेट की लत व्यक्ति के रिश्ते और करियर पर असर डालती है, जबकि Popcorn Brain मुख्य रूप से ध्यान, एकाग्रता और भावनात्मक संतुलन को प्रभावित करता है।
डॉक्टर जया सुकुल बताती हैं कि कुछ आसान कदम अपनाकर इस स्थिति को काफी हद तक सुधारा जा सकता है। स्क्रीन-फ्री जोन बनाए, घर में कुछ जगहों पर मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल न करें। हर कुछ घंटे बाद स्क्रीन से दूरी बनाएं। योग और ध्यान करें इससे दिमाग को शांति मिलती है। फोकस्ड तरीके से काम करें, छोटे-छोटे समय अंतराल में ध्यान केंद्रित करके काम करें। बिना मतलब स्क्रॉलिंग से बचने की कोशिश करें। सोचें कि मैं फोन चला रहा हूं या फोन मुझे चला रहा है?