एक अध्ययन में पाया गया है कि स्कूल में जितने बच्चे ज्यादा लोकप्रिय होते हैं, उन्हें रात में पूरी नींद (8 से 10 घंटे) कम मिल पाती है। स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि स्कूल का काम, ढेर सारी गतिविधियां, माता-पिता से आजादी और दोस्तों के साथ संबंधों जैसी चीजों की वजह से लोकप्रिय बच्चों, खासकर लड़कियों में नींद न आने की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
Sleepless Nights for Popular Teens : एक नए अध्ययन में पाया गया है कि स्कूल में जितने बच्चे ज्यादा लोकप्रिय होते हैं, उन्हें उतनी ही कम नींद (Sleep Deprivation in Teenagers) आती है. स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि लोकप्रिय बच्चों, खासकर लड़कियों को नींद न आने की समस्या ज्यादा होती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें रात में देर से नींद आती है और सुबह जल्दी नींद खुल जाती है.
Popular Teens and Sleep Loss : अध्ययन में 14 से 18 साल के 1300 से ज्यादा स्वीडिश लड़के और लड़कियों को शामिल किया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि जो बच्चे ज्यादा लोकप्रिय थे, वो अपने साथियों से 27 मिनट कम सोते थे. इतना ही नहीं, लोकप्रिय लड़कियों को अक्सर नींद ना आने की समस्या भी ज्यादा होती थी.
अध्ययन के नतीजे "Frontiers in Sleep" नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. अध्ययनकर्ताओं में से एक डॉ. सेरेना बॉडुको का कहना है कि लड़कियों को अपने दोस्तों की ज्यादा फिक्र होती है और वो उनकी मदद के लिए देर रात तक जागती रहती हैं, जिसकी वजह से उन्हें नींद नहीं आती.
डॉ. बॉडुको का कहना है कि किशोर अवस्था में नींद की कमी सबसे ज्यादा होती है. पिछले अध्ययनों से पता चला है कि सिर्फ 30 मिनट की अतिरिक्त नींद से मानसिक सेहत और स्कूल में प्रदर्शन बेहतर हो सकता है.