जीवनशैली में होने वाले बदलाव और आनुवांशिक कारणों की वजह से गठिया रोग हो सकता है। इसमें जोड़ों में दर्द, अकडऩ और मांसपेशियों में सूजन हो सकती है। यह कई तरह का होता है जैसे आम वात, संधि वात व वात रक्त।
जीवनशैली में होने वाले बदलाव और आनुवांशिक कारणों की वजह से गठिया रोग हो सकता है। इसमें जोड़ों में दर्द, अकडऩ और मांसपेशियों में सूजन हो सकती है। यह कई तरह का होता है जैसे आम वात, संधि वात व वात रक्त ।
आम वात : इसमें रासना, सप्तक काढ़ा, दसमूल क्वाथ, अश्वगंधा, शतावरी, सोंठ, निर्गुण्डी, पारिजात, एलोवेरा, गिलोय इन सभी दवाओं को लोगों में उनकी अलग-अलग प्रकृति के अनुसार देते हैं। साथ ही बालू या नमक की पोटली बनाकर जोड़ों का सिकाव किया जाता है।
संधि वात : इसके लिए पुनर्नवा, अश्वगंधा, शतावरी, विदारी, गुग्गुल, भल्लातक, घी, निर्गुन्डी, पारिजात, दानामेथी, लहसुन, कलौंजी अजवायन, और चद्र सूर इन चीजों का सेवन कर सकते हैं। इन चीजों के सेवन से इसमें राहत मिलती है।
वात रक्त : जिन चीजों से यूरिक एसिड बनता है उनका उपयोग बंद कर दें। तली हुई चीजों का सेवन न करें। इसके लिए गिलोय, अमृता का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। इनका काढ़ा पिलाते हैं। - डॉ. ओमप्रकाश दाधीच, आयुर्वेद विशेषज्ञ