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Rabies Vaccine: भैंस के दूध से बना रायता और रेबीज का शक! 200 लोग पहुंचे अस्पताल, पूरे गांव को लगे इंजेक्शन

Rabies Vaccine: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के पिपरौली गांव में सामने आया यह मामला सिर्फ एक अफवाह या डर की कहानी नहीं है, बल्कि पब्लिक हेल्थ और जागरूकता से जुड़ा एक अहम उदाहरण है। गांव में एक अंतिम संस्कार के दौरान खाए गए रायते को लेकर करीब 200 लोगों ने एहतियातन रेबीज का टीका […]

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 29, 2025

Rabies Vaccine

Rabies Vaccine (Photo- gemini ai)

Rabies Vaccine: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के पिपरौली गांव में सामने आया यह मामला सिर्फ एक अफवाह या डर की कहानी नहीं है, बल्कि पब्लिक हेल्थ और जागरूकता से जुड़ा एक अहम उदाहरण है। गांव में एक अंतिम संस्कार के दौरान खाए गए रायते को लेकर करीब 200 लोगों ने एहतियातन रेबीज का टीका लगवाया, ताकि किसी भी संभावित स्वास्थ्य जोखिम से बचा जा सके।

स्वास्थ्य से जुड़ा पूरा मामला

23 दिसंबर को गांव में एक शोक सभा के दौरान लोगों ने भोजन किया, जिसमें रायता भी शामिल था। कुछ दिन बाद जानकारी सामने आई कि जिस भैंस के दूध से रायता बनाया गया था, उसे पहले एक कुत्ते ने काट लिया था। 26 दिसंबर को उस भैंस की मौत हो गई और उसमें रेबीज जैसे लक्षण बताए गए। इस खबर के फैलते ही गांव में डर पैदा हो गया कि कहीं खाने के जरिए संक्रमण तो नहीं फैल सकता।

रेबीज को लेकर क्या कहता है मेडिकल साइंस

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, रेबीज आमतौर पर संक्रमित जानवर के काटने, खरोंच या लार के संपर्क से फैलता है। उबले हुए दूध या उससे बने खाने से रेबीज फैलने की संभावना बहुत कम मानी जाती है। हालांकि, पब्लिक हेल्थ के नजरिए से ऐसे मामलों में सावधानी बरतना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है और इसके लक्षण दिखने के बाद इलाज संभव नहीं होता।

एहतियातन टीकाकरण क्यों जरूरी था

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश्वर मिश्रा ने बताया कि यह कदम पूरी तरह प्रिवेंटिव हेल्थ यानी बचाव के तहत उठाया गया। उन्होंने कहा कि बीमारी फैलने की कोई पुष्टि नहीं थी, लेकिन फिर भी जिन लोगों को शंका थी, उन्हें एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई।
समय पर टीकाकरण से लोगों को मानसिक राहत मिली और संभावित खतरे को भी पूरी तरह टाल दिया गया।

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की त्वरित कार्रवाई

इस मामले पर ADM अवनीश कुमार राय से पत्रिका की बातचीत हुई। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की तरह लिया। उनके अनुसार, “जैसे ही जानकारी मिली, मेडिकल टीम को तुरंत एक्टिव किया गया। किसी भी तरह की देरी किए बिना लोगों को इंजेक्शन लगाया गया, ताकि कोई रिस्क न रहे।” इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को छुट्टी के दिन भी खुला रखा गया, जो हेल्थ सिस्टम की तत्परता को दिखाता है।

गांव में फिलहाल स्थिति कैसी है

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, अब तक किसी भी तरह की बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है। गांव की लगातार निगरानी की जा रही है ताकि अफवाहें न फैलें और लोग डर में न रहें।

इस घटना से क्या सीख मिलती है

यह मामला बताता है कि संक्रमण को लेकर समय पर सतर्कता और सही मेडिकल सलाह कितनी जरूरी है। घबराहट के बजाय जांच, जागरूकता और टीकाकरण जैसे कदम ही पब्लिक हेल्थ की सबसे बड़ी ताकत हैं। रेबीज जैसी गंभीर बीमारी में सावधानी ही सबसे बड़ा इलाज है, और पिपरौली गांव में उठाया गया कदम इसी सोच का उदाहरण है।