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तेरहवीं का रायता खाना पड़ गया भारी, सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे PHC…सामने आई हैरान करने वाली वजह

बदायूं में एक हैरान करने वाला मामला आया है, यहां एक गांव में तेरहवीं में ग्रामीणों ने भोज खाया इसी बीच खबर फैली कि जिस भैंस के दूध से रायता बना था उसकी पागल कुत्ते के काटने से मौत हो गई है।

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फोटो सोर्स: सोशल मीडिया

बदायूं के एक गांव में इन दिनों दहशत फैली है, लोग पीएचसी पर पहुंचकर इंजेक्शन लगवा रहे हैं। अनुमानतः अब तक लगभग सैकड़ों की संख्या में लोगों ने रेबीज का टीका लगवाया। गांव में हलचल तब मची जब एक तेरहवीं के कार्यक्रम में लोगों ने रायता खा लिया था, अचानक खबर फैली कि जिस भैंस के दूध से रायता बना था उस पागल कुत्ते ने काट लिया था और उसकी मौत हो गई है।

रेबीज होने के डर से सहमे लोग

जिसने भी भैंस के मौत की खबर सुनी सभी के चेहरे पर खौफ पसर गया, सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर भागे और एंटी रेबीज का टीका लगवाने के लिए पहुंचने लगे। अचानक इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आने से अस्पतालकर्मी भी परेशान हो गए, फिलहाल लोग रेबीज होने के डर से सहमे हुए हैं।

तेरहवीं में खाए रायता, पागल कुत्ते के काटने से भैंस मरी

पूरा मामला बदायूं जिले के उझानी कोतवाली क्षेत्र के पिपरौल गांव का है। यहां एक व्यक्ति की तेरहवीं में भोज का आयोजन हुआ, इसमें रायता की भी व्यवस्था थी और दूध आया था प्रमोद साहू की भैंस का, गांव वालों का कहना है कि कुछ दिनों पहले प्रमोद की भैंस को एक पागल कुत्ते ने काट लिया था। भैंस में रेबीज के लक्षण दिखाई दिए और बाद में उसकी मौत हो गई। इसके बाद गांव में यह आशंका जताई जाने लगी कि भैंस के दूध से रायता बनाया गया था, उसे खाने वाले लोगों में भी रेबीज फैल सकता है।

CMO बोले…एहतियातन लगवा लें एंटी रेबीज का टीका

इसी डर के चलते लोग अस्पताल पहुंचने लगे. अब तक करीब दो सौ लोग अस्पताल पहुंच चुके हैं और एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवा रहे हैं। CMO ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक भैंस की रेबीज से मौत हुई है। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने निर्देश जारी किए कि जिन लोगों ने रायता खाया है, वे एहतियातन एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवा लें।

गोरखपुर में भी घट चुकी है ऐसी घटना

बता दें कि कुछ दिनों पहले ही गोरखपुर से भी ऐसा मामला सामने आया था। यहां 29 अक्टूबर और 2 नवंबर को एक गांव में भंडारे को प्रसाद दिया गया। प्रसाद जिस गाय के दूध से बना था, उसकी रेबीज से मौत हो गई। इसके बाद गांव वालों ने प्राथमिक उपचार केंद्र की ओर भागना शुरू किया, यहां भी सैकड़ों की संख्या में लोग एंटी रेबीज का टीका लगवाए थे।