Rabbit fever in America: अमेरिका में रैबिटी फीवर ने दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। ऐसे में जानते हैं इसके लक्षण क्या है। इससे कैसे बचा जा सकता है।
Rabbit fever in America: कब कौनसी बीमारी एंट्री कर लें इसका किसी को पता नहीं है। जहां एक ओर इस समय एचएमपीवी ने चीन में तबाही मचाई हुई है तो अमेरिका में एक फीवर ने दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। इसके मामले लगातार गांव व जंगलों में आ रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इससे अब तक कई लोग चपेट में आ गए है। अमेरिका (Rabbit fever in America) में इस फीवर से 50 प्रतिशत से भी ज्यादा उछाल देखा गया है। सेंटर फॉर 'डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार 2011 और 2022 के बीच अमेरिका में रैबिट फीवर ( Rabbit fever in America) के मामलों में 56 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
यह एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के पीछे का कारण फ्रांसिसेला टुलारेंसिस नामक बैक्टीरिया है। इस बैक्टीरिया से इंसान, जानवर, खासकर खरगोश, चूहे, और अन्य छोटे स्तनधारी संक्रमित होते हैं। इस बीमारी के होने के पीछे का कारण हवा, पानी, संक्रमित जानवरों या कीड़ों के काटने को माना जाता है।
जब किसी को यह फीवर (Rabbit fever in America) होता है तो उसमें तेज बुखार, ठंड लगना, थकान, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, पेट दर्द, उल्टी और दस्त, त्वचा पर घाव, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या हो सकती है।
रैबिटी फीवर से बचने के लिए आपको संक्रमित जानवरों से दूरी बनाए, सुरक्षा उपकरण पहनें, कीड़ों से बचाव करें, स्वच्छता का ध्यान रखें, जानवरों के मांस को अच्छी तरह पकाएं, हवा से बचाव करें जैसे आदि उपाय शामिल है। यदि आप ऐसी जगह जा रहे हैं जहां पर टुलारेमिया फैलने की संभावना है तो आप मास्क पहनकर बाहर निकले। साथ ही भोजन के बाद और पहले हाथ जरूर धोएंं।
सीडीसी इन मामलों पर अपनी नजर रख रहा है। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है तो यह जानलेवा हो सकता है। सीडीसी की रिपोर्ट्स के अनुसार, रैबिट फीवर के केसों में मृत्यु दर आम तौर पर दो फीसदी से कम होती है. हालांकि, जीवाणु तनाव के बेस पर ज्यादा भी हो सकती हैं। रैबिट फीवर” का वैज्ञानिक नाम "टुलारेमिया" है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।