स्वास्थ्य

Running increase Cancer Risk : अधिक दौड़ने से इस कैंसर का खतरा! रनिंग करने वालों पर हुए शोध में खुलासा, एक्सपर्ट के टिप्स करें फॉलो

Running increase Cancer Risk : नई रिसर्च के मुताबिक, बार-बार मैराथन और अल्ट्रा-मैराथन दौड़ने वालों में कोलन में प्रीकैंसरस पॉलीप बनने का खतरा ज्यादा पाया गया। जानिए धावकों को क्यों चाहिए खास सावधानी और किन लक्षणों को न करें नजरअंदाज।

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Sep 20, 2025
Running increase Cancer Risk (Photo- freepik)

Running increase Cancer Risk : अगर आप एक मैराथन रनर है या लंबी दौड़ का शौक रखते हैं तो जरा ठहर जाइए। हाल ही में आई एक नई स्टडी ने ये साफ कर दिया है कि बहुत ज्यादा लंबी दौड़ (जैसे मैराथन या अल्ट्रा-मैराथन) आपके कोलन (बड़ी आंत) की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। तो आइए जानते हैं क्या-क्या खुलासे हुए हैं इस रिसर्च में।

अमेरिका के Inova Schar Cancer Institute की एक टीम ने 35 से 50 साल की उम्र के 100 स्वस्थ धावकों पर रिसर्च की। ये वो लोग थे जिन्होंने 5 से ज्यादा मैराथन या 2 अल्ट्रा-मैराथन दौड़े थे। करीब 41% धावकों में कोलन में गांठ (पॉलीप) मिली। इनमें से 15% में एडवांस पॉलीप मिले, जो आगे चलकर कैंसर में बदल सकते हैं। जबकि इस उम्र के आम लोगों में ये खतरा सिर्फ 1–2% तक होता है।

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क्या मिला रिसर्च में?

इसका मतलब यह हुआ कि फिट और हेल्दी दिखने वाले लोग भी अंदर से रिस्क में हो सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे ये कारण पक्का नहीं है। ये स्टडी सिर्फ संबंध (association) दिखाती है, यह पक्का सबूत नहीं है कि दौड़ने से कैंसर होता है। हो सकता है इसमें डाइट, लाइफस्टाइल या जेनेटिक फैक्टर भी जुड़े हों।

क्यों हो सकता है खतरा?

लंबी दौड़ के दौरान शरीर का खून ज्यादा मांसपेशियों की तरफ जाता है और पेट,आंत को कम मिलता है। इससे वहां सूजन या चोट हो सकती है। कई धावक रनरस कोलाइटिस (पेट खराब, दस्त, हल्का खून) जैसी दिक्कत झेलते हैं। बार-बार ऐसा होना आंत पर असर डाल सकता है। मैराथन धावकों की गट माइक्रोबायोम (आंत की बैक्टीरिया बैलेंस) भी बदल सकती है। रनिंग के दौरान जो पैक्ड फूड,जेल खाते हैं, वो भी पेट पर असर डाल सकते हैं।

किन्हें ज्यादा ध्यान रखना चाहिए?

35–50 साल के लोग जो बार-बार मैराथन, अल्ट्रा मैराथन दौड़ते हैं। जिन्हें रनिंग के बाद बार-बार दस्त, खून या पेट दर्द होता है।जिनके परिवार में कोलन कैंसर का इतिहास है।

कैसे बचें?

स्क्रीनिंग कराएं: 45 साल की उम्र के बाद तो जरूर, लेकिन अगर आप बहुत ज्यादा रनिंग करते हैं और लक्षण हैं तो पहले भी।

लक्षण नजरअंदाज न करें: खून आना, लंबे समय तक दस्त रहना या स्टूल में बदलाव आने पर डॉक्टर से चेक कराएं।

ट्रेनिंग का बैलेंस रखें: ओवरट्रेनिंग से बचें, बॉडी को रिकवरी का टाइम दें।

हेल्दी डाइट लें: फाइबर, फल-सब्जियां ज्यादा खाएं और पैक्ड, प्रोसेस्ड चीजों को लिमिट करें।

डॉक्टर से खुलकर बात करें: अपनी रनिंग हैबिट और फैमिली हिस्ट्री जरूर बताएं।

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