Keep kneaded dough in the fridge or not: हम अक्सर हर सुबह या शाम कभी भी गंथा हुआ आटा फ्रिज में रख देते हैं। लेकिन क्या आपाके पता है यह हमारे लिए हानिकारक होता है। इससे पेट की समस्या आदि हो सकती है।
Keep kneaded dough in the fridge or not: गेहूं हमारे भोजन के लिए एक प्रमुख हिस्सा है। सुबह के नाश्ते में पराठे हों, दोपहर के भोजन में पूड़ी या रात के खाने में रोटी सब में गेंहूं का उपयोग किया जाता है। इन सब में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। जब रोटी बनाने के लिए आटा गूंथा जाता है, तो कई परिवारों में यह प्रथा होती है कि रात को अधिक आटा गूंथकर (Keep kneaded dough in the fridge or not) या समय की बचत के लिए इसे रात में ही फ्रिज में रख दिया जाता है, और फिर सुबह इसे निकालकर रोटी बनाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह आपकी सेहत के लिए कितना सही है।
पेट खराब की समस्या
अगर आप रातभर फ्रिज में रखी हुई आटे की रोटी का सेवन करते हैं और यह आपकी नियमित आदत बन गई है, तो आपको पेट में दर्द या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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अगर लंबे समय तक फ्रिज में रखे आटे से बनी रोटियां खाई जाती हैं, तो इससे फूड प्वाइजनिंग का खतरा बढ़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं
कई लोग इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि रात के समय फ्रिज में गूंथा हुआ आटा नहीं रखना चाहिए। यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। रात भर फ्रिज में रखे आटे में बैक्टीरिया विकसित होने लगते हैं, जो अत्यंत खतरनाक होते हैं।
एसिडिटी की समस्या
जो लोग रात भर फ्रिज (Keep kneaded dough in the fridge or not) में रखी हुई आटे से बनी रोटियां खाते हैं, उन्हें एसिडिटी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि इस आटे में माइकोटॉक्सिन उत्पन्न हो जाते हैं, जो पेट में एसिडिटी को बढ़ावा देते हैं।
सिर्फ 2 से 3 घंंटे रखें
अगर आप बचे हुए आटे को फ्रिज (Keep kneaded dough in the fridge or not) में स्टोर करना चाहते हैं, तो इसे केवल दो से तीन घंटे के लिए ही रखें। लेकिन यह ध्यान में रखें कि इसे नियमित रूप से करने की आदत न डालें, क्योंकि यह कभी-कभी ही करना उचित है। बेहतर होगा कि आप ताजा आटा गूंथकर ही रोटियां बनाएं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।