Health risks of sleep deprivation : भारत में नींद की कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 59% भारतीय छह घंटे से भी कम नींद ले पा रहे हैं, जो आवश्यक न्यूनतम से भी कम है। यह कमी कार्यक्षमता, निर्णय क्षमता और उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
Sleep deprivation in India : नई दिल्ली. हमारी सेहत के लिए अच्छी नींद का महत्व रेखांकित करने के लिए 15 मार्च को विश्व नींद दिवस मनाया जाता है। कई अध्ययनों से यह स्थापित हो चुका है कि अच्छी नींद से न केवल मनुष्य का स्वास्थ्य बेहतर होता है, उम्र बढ़ती है और कामकाजी उत्पादकता बढ़ने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी बेहतर होती है।
Health risks of sleep deprivation : कई अध्ययनों में यह सामने आ चुका है कि आज के भागमभाग वाले युग में नींद पूरी नहीं होने से देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। 2016 के एक चर्चित अध्ययन में नींद की कमी से अमरीकी अर्थव्यवस्था को 411 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया था। नींद पूरी नहीं होने की यह समस्या अब भारत के लोगों को भी तेजी से चपेट में ले रही है।
लोकल सर्किल्स के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, 59% भारतीयों ने कहा है कि वे छह घंटे से भी कम की अच्छी नींद ले पा रहे हैं। उनमें से आधे लोगों ने यह भी कहा कि वे सप्ताहांत में भी इस कमी की भरपाई करने में विफल रहते हैं। अध्ययन के अनुसार, नींद से वंचित 38% भारतीय सप्ताहांत या छुट्टियों में भी अपनी खोई हुई नींद पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं।
नींद में कमी से जूझ रहे लोगों में 72% बार-बार वॉशरूम जाने के लिए जागते हैं। इसके अलावा उम्र, नींद का पैटर्न, मेटाबॉलिज्म, देर रात स्क्रीन के साथ समय बिताना, रात के खाने की आदतें और शराब का सेवन नींद में खलल डालने वाले सबसे बड़े कारण रेखांकित किए गए हैं।
ऑफिस में अनुपस्थिति में इजाफा, काम पर उनींदापन, काम या स्कूल में उत्पादकता में कमी, वाहन चलाते हुए दुर्घटना का जोखिम, निर्णयों पर नकारात्मक असर। बार-बार नींद टूटने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली, शारीरिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्थिति प्रभावित हो सकती है। लंबे समय तक नींद में गड़बड़ी से हृदय संबंधी बीमारियां, वजन बढ़ने और टाइप 2 मधुमेह सहित मेटाबॉलिज्म संबंधी विकार पैदा हो सकते हैं।
लोकलसर्किल्स ने भारत के 348 जिलों में 43,000 लोगों को शामिल करते हुए एक सर्वेक्षण किया। उत्तरदाताओं में से 61% पुरुष और 39% महिलाएं थीं।
नींद में कमी की विकट होती समस्या को देखते हुए अनुमान है कि अब दुनिया भर में स्लीप टूरिज्म का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जो कि 2023 और 2028 के बीच लगभग 8% की दर से बढ़ते हुए $400 बिलियन डॉलर हो जाएगा।
अधिक से अधिक होटल मेहमानों को सेहतमंद आराम दिलाने में मदद करने के लिए इन-हाउस स्लीप विशेषज्ञों तक पहुंच और अन्य सुविधाएं-सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।