Tuberculosis Vaccine 2025 : 100 साल बाद ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के खिलाफ नई उम्मीद जगी है। MIT के वैज्ञानिकों ने एक नया वैक्सीन विकसित किया है जो वयस्कों में भी असरदार हो सकता है। जानिए कैसे यह वैक्सीन टीबी से लड़ाई का गेम चेंजर बन सकता है।
Tuberculosis Vaccine 2025: दुनिया की सबसे पुरानी और घातक बीमारियों में से एक टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस को माना जाता है। हर साल लाखों लोग इसकी चपेट में आते हैं और लाखों जानें चली जाती हैं। अब इस बीमारी के खिलाफ 100 साल बाद बड़ी उम्मीद जगाने वाली खबर सामने आई है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के वैज्ञानिकों ने एक नया वैक्सीन विकसित किया है, जो टीबी से लड़ाई में गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने टीबी बैक्टीरिया के अंदर मौजूद 24 खास प्रोटीन के टुकड़े (फ्रैगमेंट) पहचाने हैं, जो हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को सबसे ज्यादा सक्रिय करते हैं। इन हिस्सों को जोड़कर वैज्ञानिकों ने ऐसा वैक्सीन तैयार किया है जो शरीर को टीबी के खिलाफ खुद लड़ने की ताकत सिखाता है। पुराना बीसीजी (BCG) वैक्सीन साल 1921 में बनाया गया था, जो बच्चों पर तो असर करता है, लेकिन बड़ों में ज्यादा प्रभावी नहीं है। नया वैक्सीन खासतौर पर बड़ों और किशोरों के लिए डिजाइन किया गया है ताकि फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से बेहतर सुरक्षा मिल सके।
टीबी के बैक्टीरिया जब शरीर में जाते हैं तो वे प्रोटीन के छोटे टुकड़े छोड़ते हैं जिन्हें पेप्टाइड्स कहा जाता है। शरीर का इम्यून सिस्टम इन्हीं पेप्टाइड्स को देखकर बीमारी को पहचानता और उससे लड़ता है। MIT की टीम ने 24 सबसे प्रभावी पेप्टाइड्स चुने हैं जो टी-सेल्स को एक्टिव करते हैं। यही टी-सेल्स हमारे शरीर के सैनिक हैं जो संक्रमण से लड़ते हैं। यह नया वैक्सीन इन सिंथेटिक (कृत्रिम) पेप्टाइड्स पर आधारित है, जिससे शरीर बिना असली बैक्टीरिया के संपर्क में आए ही बीमारी से लड़ना सीख जाता है।
अगर यह वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में सफल रहा तो यह दुनिया की टीबी रोकथाम की दिशा बदल सकता है। वयस्कों में बेहतर सुरक्षा मिलेगी। बीमारी का फैलाव कम होगा। ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी के मामले घटेंगे। इलाज पर होने वाला खर्च भी कम होगा।
वैक्सीन अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए इसे कई मानव परीक्षणों से गुजरना होगा। इसके बाद ही यह तय होगा कि यह सुरक्षित और लंबे समय तक असरदार है या नहीं। वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन और गरीब देशों तक पहुंच भी एक बड़ी चुनौती रहेगी। फिर भी, 100 साल में पहली बार ऐसा लग रहा है कि इंसान टीबी जैसी जानलेवा बीमारी पर आखिरकार जीत हासिल कर सकता है। अगर यह वैक्सीन सफल रहा, तो यह लाखों लोगों की जान बचा सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए नई उम्मीद बन सकता है।