Abhishek Bachchan: डिस्लेक्सिया एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इस स्थिति के कारण व्यक्ति को पढ़ाई, लेखन, शब्दों की समझ और दूसरों की बातों पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है।
Abhishek Bachchan: अभिषेक बच्चन जब 9 साल की उम्र के थे, तब उन्हें डिस्लेक्सिया से जूझ रहे थे। उन्होंने हाल ही में इस बीमारी का खुलासा किया है। इस बीमारी के कारण अभिषेक बच्चन अक्षरों को पहचान नहीं पाते थे। साथ ही उन्हें लिखने और बोलने में परेशानी होती थी। इस बीमारी के कारण ही अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) पढ़ाई में कमजोर रह गए थे। उन्होंने ने बताया कि जब वे 9 साल के थे जब उन्हें इस बीमारी का पता चला था और इसके बाद मुझे एक यूरोपीय स्कूल में भेज दिया गया था। उन्होंने बताया कि मझे ग्रेजुएशन होने के बाद ही डिस्लेक्सिक हूं इसके बारे में पता चला।
अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) ने बताया कि उन्होंने उचित उपचार, थेरेपी और दवाओं की मदद से डिस्लेक्सिया पर विजय प्राप्त की और इस बीमारी को पार करते हुए, समाज के लिए एक नई प्रेरणा बने।
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डिस्लेक्सिया एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इस स्थिति के कारण व्यक्ति को पढ़ाई, लेखन, शब्दों की समझ और दूसरों की बातों पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। डिस्लेक्सिया से प्रभावित व्यक्ति को सीखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह उनकी मानसिक क्षमता को प्रभावित नहीं करता है।
न्यूरोलॉजिकल समस्याएं कभी-कभी वयस्कता तक पहचान में नहीं आती हैं। यह विकलांगता वर्णमाला के क्रम में बदलाव, अक्षरों की सही पहचान, और वाक्यों को लिखने, सुनने और बोलने में कठिनाइयों का कारण बन सकती है।
डिस्लेक्सिया के लक्षणों की बात की जाएं तो इसमें कई लक्षण शामिल है। जैसे अक्षरों और शब्दों को उलटकर या गलत तरीके से पढ़ना, पढ़ाई में असामान्य रूप से धीमापन दिखना, वर्तनी में लगातार गलतियाँ करना, शब्दों और ध्वनियों के बीच संबंध स्थापित करने में कठिनाई, पढ़ने, लिखने और बोलने में आत्मविश्वास की कमी का अनुभव करना, गणित से संबंधित सामग्री को पढ़ने में कठिनाई होना आदि लक्षण शामिल थे।
डिस्लेक्सिया के उपचार के लिए आज कई प्रकार की चिकित्सा और औषधियाँ उपलब्ध हैं। बाल मनोवैज्ञानिक, भाषाई विशेषज्ञ और न्यूरोलॉजिस्ट इस समस्या का समाधान करते हैं। हालांकि, इस विकार से कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।