Stress Junk Food Connection : Stress Junk Food Connection : जंक फूड का सेवन आजकल लाइफ स्टाइल का हिस्सा बन चूका है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है स्ट्रेस/ तनाव हमें जंक फूड की और क्यों आकर्षित करता है। नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर ने इसकी वजह गट-ब्रेन कनेक्शन और आंत और दिमाग का अनोखा रिश्ता बताया है।
Why stress makes you crave junk food : आज की तेज़-तर्रार ज़िंदगी में तनाव (Stress) एक आम समस्या बन चुका है। काम का दबाव, परीक्षा का तनाव, निजी जीवन की परेशानियां-इन सबका असर न केवल दिमाग पर पड़ता है बल्कि हमारे खानपान की आदतों पर भी देखने को मिलता है। आपने अक्सर महसूस किया होगा कि तनाव के समय हम हेल्दी खाने के बजाय जंक फूड (Junk Food) की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसकी वजह और समाधान।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे पाचन तंत्र और मस्तिष्क के बीच एक जटिल संचार प्रणाली होती है, जिसे माइक्रोबायोटा-गट-ब्रेन एक्सिस कहा जाता है। यह प्रणाली हमारे तनाव (Stress), भोजन की इच्छा और पाचन को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है। जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारे शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे हमारे भोजन की पसंद और पाचन क्रिया प्रभावित होती है।
नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर (NBRC), गुड़गांव के प्रो. अनिर्बन बसु के अनुसार, आजकल कई मेटाबॉलिक विकार (Metabolic Disorders) अधिक भोजन करने की आदत से जुड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर गट डिसबायोसिस (आंत में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का असंतुलन) की स्थिति में चला जाता है। इससे हमारा शरीर शुगर और फैट से भरपूर खाद्य पदार्थों की मांग करने लगता है, जिससे तनावग्रस्त व्यक्ति को स्नैक अटैक यानी जंक फूड की अचानक तलब महसूस होती है।
जब हम तनाव के दौरान अधिक वसा और शक्कर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि चिप्स, चॉकलेट, पिज्जा या अन्य प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं, तो इससे आंत में मौजूद बैक्टीरिया का संतुलन और बिगड़ जाता है। परिणामस्वरूप, पाचन संबंधी समस्याएं, मोटापा, डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
प्रो. बसु ने सुझाव दिया कि अगर हमें तनाव के दौरान भी अपनी सेहत का ध्यान रखना है, तो जंक फूड की बजाय हमें गट-फ्रेंडली फूड (आंत के लिए लाभकारी खाद्य पदार्थ) को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। इनमें शामिल हैं:
दही – प्रोबायोटिक्स से भरपूर, जो आंत के बैक्टीरिया को संतुलित करता है।
मिलेट्स (बाजरा, ज्वार, रागी) – फाइबर से भरपूर और पाचन में मददगार।
हरी सब्जियां और फल – एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर, जो शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होते हैं।
अखरोट और बीज – ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर, जो मस्तिष्क और आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
प्रो. बसु का कहना है कि बचपन से ही संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से आगे चलकर मेटाबॉलिक और मानसिक विकारों से बचा जा सकता है। इसके अलावा, नियमित व्यायाम, मेडिटेशन और सही समय पर भोजन करने से भी तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है।
अगर आप तनाव में बार-बार जंक फूड खाने की इच्छा महसूस करते हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। इसकी वैज्ञानिक वजह को समझें और अपनी डाइट में सुधार करें। आंत और दिमाग के इस अनोखे संबंध को ध्यान में रखते हुए, हेल्दी फूड का चुनाव करें और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। क्योंकि स्ट्रेस ईटिंग से राहत नहीं, बल्कि और समस्याएं बढ़ती हैं!