World Stroke Day : स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी है जो मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में समस्या के कारण उत्पन्न होती है और यह दुनिया भर में लकवा एवं मृत्यु का प्रमुख कारण है।
World Stroke Day : स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी है जो मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में समस्या के कारण उत्पन्न होती है और यह दुनिया भर में लकवा एवं मृत्यु का प्रमुख कारण है। यदि उम्र की बात करें तो यह अधिकतर 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में देखने को मिलता है मगर पिछले कुछ समय से यह 30 से 45 वर्ष की आयु के लोगों में भी देखने को मिल रहा है।
World Stroke Day : विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2022 में जारी वैश्विक स्ट्रोक फैक्टशीट से पता चलता है कि पिछले 17 वर्षों में स्ट्रोक (Stroke) विकसित होने का आजीवन जोखिम 50% बढ़ गया है और अब अनुमान है कि 4 में से 1 व्यक्ति को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक होता है। 1990 से 2019 तक, स्ट्रोक की घटनाओं में 70% की वृद्धि हुई है, स्ट्रोक के कारण होने वाली मौतों में 43% की वृद्धि हुई है।
हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस (World Stroke Day) मनाया जाता है। इस साल 2024 में विश्व स्ट्रोक दिवस का विषय ग्रेटरथेन स्ट्रोक है। जिसका मकसद लोगों को स्ट्रोक (Stroke) को लेकर जागरूक करना एवं जोखिमों को कम करने के लिए तुरंत आवश्यक कार्रवाई करने पर जोर देना है।
नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वैभव माथुर ने बताया की स्ट्रोक के कई कारण होते हैं इनमें सबसे मुख्य रूप से अनियमित जीवन शैली, अस्वस्थ कर आहार, शराब, सिगरेट, गुटका, पान-मसाला के अधिक सेवन से डायबिटीज, हृदय संबंधित समस्याएं व ब्लड प्रेशर की बीमारी उत्पन्न होती हैं और स्ट्रोक की संभावना भी अधिक हो जाती है। इसके अलावा रक्त वाहिकाओं का संकुचन, रक्त वाहिकाओं में थक्के जमना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना, हाई कोलेस्ट्रॉल, तनाव, रक्त वाहिकाओं का कमजोर होना, वंशानुगत विकार, मस्तिष्क की चोट, संक्रमण, विषाक्त पदार्थों का सेवन, हृदय की समस्याएं, फेफड़ों की समस्याएं, गुर्दों की समस्याएं, रक्त की समस्याएं भी स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं।
नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अरविन्द लकेसर ने बताया कि, लोगों को गोल्डन पीरियड के महत्व के बारे में जागरूक होना जरूरी है, जो स्ट्रोक आने के बाद शुरुआती 4 से 4.5 घंटे का होता है। स्ट्रोक के होते ही ब्रेन की प्रति मिनट 20 लाख कोशिकाएं मरने लगती हैं, समय रहते यदि स्ट्रोक का ईलाज शुरू कर दिया जाए तो स्ट्रोक पर काबू पाया जा सकता है इसलिए मरीज को बिना समय गंवायें नजदीकी स्ट्रोक रेडी अस्पताल में पहुंचाना चाहिए ताकि मस्तिष्क को बचाने के लिए शीघ्र उपचार शुरू किया जा सके।
स्ट्रोक का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति को किस प्रकार का स्ट्रोक हुआ है और स्ट्रोक होने के 24 घंटे में अगर आप मरीज को हॉस्पिटल ले आते हैं तब उसे कुछ उपचारों के माध्यम से राहत मिल सकती है। थ्रोम्बोलिसिस प्रक्रिया के माध्यम से मरीज का इलाज किया जाता है जिसमें मस्तिष्क में रक्त के थक्कों से छुटकारा पाने की दवा दी जातीहै।
रक्त का थक्का हटाने (थ्रोम्बेक्टोमी) या मस्तिष्क से तरल पदार्थ निकालने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। इसके अलावा कुछ अन्य दावों के माध्यम से भी मरीज का इलाज किया जाता है परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि मरीज को स्ट्रोक पड़ने के 4 -8 घंटे के अंदर हॉस्पिटल लाया जाए।