MP News: डॉक्टरों के अनुसार कई मरीज ऐसे भी हैं जो इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं। उन्हें लगता है इंफेक्शन ठीक हो चुका है....
MP News: बारिश का सीजन आने के बाद जुलाई से स्किन इंफेक्शन के केस बढ़ने लगे हैं। एमवायएच सहित जिला अस्पताल व निजी क्लिनिक में पहले से अधिक मरीज आ रहे हैं। एमवायएच के त्वचा एवं चर्म रोग विभाग में रोज 400 से 450 के लगभग मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से हर तीसरे मरीज को मौसम के कारण हुए इंफेक्शन की समस्या है। इसमें भी 20 से 25 सिर्फ फंगल इंफेक्शन वाले हैं। इसका प्रमुख कारण नमी, गीले कपड़े व भीगे हुए जूते पहनना है।
डॉक्टरों के अनुसार कई मरीज ऐसे भी हैं जो इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं। उन्हें लगता है इंफेक्शन ठीक हो चुका है। इस तरह की लापरवाही से समस्या बढ़ जाती है। इसीलिए ओपीडी में दोबारा आने वाले मरीजों की संख्या भी अधिक है। यह लापरवाही बाद में दाद-खाज में भी बदल रही है। इंफेक्शन फफूंद की वजह से होता है, जो धीरे-धीरे शरीर के नम स्थान जैसे कि पैर की एड़ी, नाखून आदि में इंफेक्शन फैलाने लगता है। इसमें त्वचा पर सफेद परत जम जाती है व खुजली होती है। शरीर में कहीं भी हल्की सी नमी, मेल और गंदगी इस बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन का कारण बनती है।
ओपीडी में पैर की अंगुलियों या तलवे में फंगस की समस्या वाले मरीज भी पहुंच रहे हैं। बारिश में नमी अधिक रहती है। जूते, चप्पल, मोजे का गीला होना और धूप की कमी से इनका न सूख पाना इंफेक्शन फैलता है। इससे पैर की अंगुलियों के बीच दाद-खाज और खुजली होती है।
फंगल इंफेक्शन या मौसम के असर से स्किन इंफेक्शन केस बढ़े हैं। युवा व बच्चों की संख्या अधिक है। लोग मेडिकल से सीधे दवा या क्रीम लेते हैं। कौन सा क्रीम या दवा आवश्यक इसके लिए डॉक्टर को दिखाना बेहद जरूरी होता है। -डॉ. राहुल नागर, त्वचा रोग विशेषज्ञ विभाग एमवायएच
-त्वचा पर रैशेज आना।
-त्वचा के किसी हिस्से में जलन व खुजली।
-त्वचा पर लाल चकते नजर आना।
-त्वचा पर सफेद परत आना व चमड़ी निकलना।
-त्वचा में खुजली, दर्द व खून निकलना।
-पैरों में दरार व खून निकलना।
-अगर कोई संक्रमित हो तो उसके कपड़े, तौलिया, कंघा आदि प्रयोग न करें।
-गीले कपड़े न पहने व लगातार भीगने से बचे।
-जूते, चप्पल, मोजे गीले होने पर न पहनें।
-भीगने पर तुरंत ही कपड़े बदलें।