Eye Care: आजकल कोचिंग में बच्चों को नोट्स पीडीएफ के माध्यम से दिए जा रहे हैं, वे इन्हें जूम करके पढ़ते हैं। इससे भी आंखों पर जोर पड़ता है।
Eye Care: इंदौर में आंख के रोगी बढ़ते जा रहे हैं। इनमें 65 फीसदी युवा हैं। इनमें सबसे अधिक मरीज ड्राय आई व चश्मे के नंबर वाले हैं। आंखों पर सबसे ज्यादा असर का कारण स्क्रीन टाइम ज्यादा होना है। डॉक्टरों का कहना है, लगातार 20 मिनट से ज्यादा टीवी व मोबाइल न देखें व दिन में दो से तीन घंटे से ज्यादा समय न दें।
फोन स्क्रीन से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणें नुकसानदायक होती हैं। यहीं नहीं आजकल कोचिंग में बच्चों को नोट्स पीडीएफ के माध्यम से दिए जा रहे हैं, वे इन्हें जूम करके पढ़ते हैं। इससे भी आंखों पर जोर पड़ता है। माइग्रेन, चश्मा लगने की स्थिति बनती है। स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में ही हर साल लगभग 45 हजार ऐसे मरीज जांच के लिए पहुंच रहे हैं। इन मामलों में कॉर्निया, रेटिना, ग्लूकोमा, ड्राय आई व अन्य मरीज शामिल हैं।
7228- बुजुर्गों की जांची आंखें
2657- बुजुर्गों को चश्मे किए वितरित
194- स्कूलों में बच्चों की आंखों की जांच
14859- बच्चों की आंख का परीक्षण
3701- बच्चों को चश्मे किए वितरित
सामान्य व्यक्ति 1 मिनट में 15 से 20 बार या हर 3 सेकंड में 1 बार पलकें झपकाता है। देर तक स्क्रीन पर रहने वाले 1 मिनट में 3 से 4 बार पलक झपकाते हैं। इससे कार्निया ड्राय होने लगती है व आंखों के रोग हो जाते हैं। आंख में माइनस नंबर डेवलप होता है। -डॉ. प्रतीप व्यास, वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई
हर दिन 18 साल से कम 20% व 18-40 वर्ष के 40% युवा आंख की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। युवाओं में स्क्रीन टाइम से यह समस्या बढ़ी है। -डॉ. डीके शर्मा, अधीक्षक, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई