इंदौर

एमपी में 1756 गांवों और तहसीलें का होगा विकास, शहर में शामिल होंगे गांव !

Metropolitan Region: शहर का क्षेत्रफल बढ़ने से आसपास के ग्रामीण इलाके शहरी दायरे में आएंगे, जिससे नए औद्योगिक क्लस्टर, लॉजिस्टिक्स हब और रोजगार के अवसर बन सकते हैं।

2 min read
Dec 29, 2025
Metropolitan Region प्रतिकात्मक फोटो (Photo Source- freepik)

Metropolitan Region: इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन (आइएमआर) के विस्तार को लेकर चर्चाएं तेज है। माना जा रहा है कि इससे औद्योगिकीकरण, निवेश, रोजगार और निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी, लेकिन विशेषज्ञों का साफ कहना है कि विस्तार से पहले सुधार जरूरी है, वरना यह महत्वाकांक्षी योजना शहर के लिए भारी पड़ सकती है। शहर का क्षेत्रफल बढ़ने से आसपास के ग्रामीण इलाके शहरी दायरे में आएंगे, जिससे नए औद्योगिक क्लस्टर, लॉजिस्टिक्स हब और रोजगार के अवसर बन सकते हैं। इंदौर के कई उत्पाद पहले से ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान रखते हैं, जिन्हें मेट्रोपॉलिटन रीजन का फायदा मिल सकता है।

जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार इंदौर को एक बड़े मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के रूप में विकसित कर रही है, जिसमें इंदौर, उज्जैन, देवास, धार और शाजापुर जिलों के लगभग 1756 गांवों और कई तहसीलें शामिल होंगी, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र का समग्र विकास, औद्योगीकरण और बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है

ये भी पढ़ें

नए साल में एमपी को मिलेगा ‘6-लेन’ फ्लाईओवर, जंक्शन भी बनेगा

एक्सपर्ट बोलेः योजना के बिना विस्तार विनाशकारी

अर्थशास्त्री एवं डीएवीवी के प्रोफेसर कन्हैया आहूजा का कहना है कि सिर्फ क्षेत्रफल बढ़ाने से कोई शहर स्मार्ट या विकसित नहीं बनता। ट्रांसपोर्ट, जल आपूर्ति, स्वास्थ्य व इंफ्रास्ट्रक्चर की दीर्घकालिक योजना नहीं बनी तो शहर अव्यवस्थित शहर में बदल जाएगा।

अवसर बड़े लेकिन चुनौतियां उससे भी बड़ी

विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान हालात में इंदौर बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। यदि इन समस्याओं को दूर किए बिना मेट्रोपॉलिटन रीजन का विस्तार किया गया, तो शहरी दबाव कई गुना बढ़ जाएगा।

क्या होना चाहिए प्राथमिक एजेंडा ?

-पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मजबूत नेटवर्क
-मेट्रो परियोजना को पूर्ण क्षमता से चालू करना
-बस परिवहन को फिर से सशक्त बनाना
-जल आपूर्ति और सीवरेज सिस्टम का विस्तार
-स्वास्थ्य और शिक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश
-औद्योगिक विकास के साथ पर्यावरण संतुलन

पत्रिका व्यूः विकास का रास्ता संतुलन से गुजरे

मेट्रोपोलिटन रीजन का विस्तार इंदौर को औद्योगिक, आर्थिक और निर्यात के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है, लेकिन यह तभी संभव है, जब विस्तार से पहले सुधार और सपनों के साथ सिस्टम पर भी बराबर काम किया जाए, वरना मेट्रोपोलिटन रीजन का सपना, शहरी संकट में बदल सकता है।

कहां-कहां पिछड़ रहा है इंदौर ?

1- इंफ्रास्ट्रक्चर

शहर की सड़कों, फ्लाईओवर, ड्रेनेज और शहरी ढांचे का विकास बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या के अनुपात में नहीं हो पाया है। कई इलाकों में ट्रैफिक जाम और जलभराव आम समस्या बन चुके हैं।

2- पब्लिक ट्रांसपोर्ट सबसे कमजोर कड़ी

मेट्रो परियोजना अब भी अधूरी, बीआरटीएस बंद हो चुका है और सरकारी बस परिवहन सीमित है। नतीजा यह है कि शहर के अधिकांश नागरिक निजी वाहनों पर निर्भर हैं, जिससे ट्रैफिक और प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।

3- सड़कों और कनेक्टिविटी की कमी

नईकॉलोनियों और बाहरी क्षेत्रों की कनेक्टिविटी कमजोर है। सड़कों की गुणवत्ता और क्षमता दोनों ही जरूरत से कम हैं, जिससे रोजमर्रा की आवाजाही चुनौती बन गई है।

4- पानी बना सबसे बड़ा

नर्मदा जल योजना का तीसरा चरण अधूरा है। वर्तमान में शहर की 35-40 प्रतिशत आबादी तक नर्मदा का पानी नहीं पहुंच रहा। यदि मेट्रोपॉलिटन रीजन का विस्तार हुआ तो जल आपूर्ति की मांग कई गुना बढ़ेगी, जो भविष्य के लिए बड़ा खतरा है।

5- स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ेगा बोझ

क्षेत्र विस्तार के साथ आबादी बढ़ेगी। ऐसे में अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ना तय है। अभी से स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना अनिवार्य होगा।

ये भी पढ़ें

अब फटाफट होगा ‘हार्ट अटैक-स्ट्रोक’ का इलाज, एम्स में शुरू होगा ICU भवन

Updated on:
29 Dec 2025 01:20 pm
Published on:
29 Dec 2025 12:27 pm
Also Read
View All

अगली खबर