MP News : इंदौर की सैशन कोर्ट ने दो मुस्लिम व्यक्तियों और एक नाबालिग जैन बच्चे की मां को अपने बेटे को धर्म परिवर्तन करवाकर जबरन मुसलमान बनाने के लिए दोषी ठहराया है।
MP News :इंदौर की सैशन कोर्ट ने दो मुस्लिम व्यक्तियों और एक नाबालिग जैन बच्चे की मां को अपने बेटे को धर्म परिवर्तन करवाकर जबरन मुसलमान बनाने के लिए दोषी ठहराया है। कोर्ट ने तीनों को फर्जी कागजात तैयार करने के लिए 10 साल और जबरन धर्मांतरण के लिए सात साल के कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जितेंद्र सिंह कुशवाहा ने बच्चे की मां प्रार्थना शिवहरे (27), उसके प्रेमी इलियास अहमद कुरैशी (33) और एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद जफर अली (37) पर पांच-पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है।
अभियोजन के अनुसार राजस्थान निवासी महेश कुमार नाहटा ने जुलाई 2023 में यह मामला दर्ज करवाया था। इसमें कहा गया था कि उन्होंने जून 2014 में प्रार्थना शिवहरे से शादी की थी और जुलाई 2015 में उनके एक बेटा हुआ था। मार्च 2018 में महेश पत्नी व बेटे को शाजापुर से राजस्थान ला रहा था तो प्रार्थना रतलाम के पास सालाखेड़ी चौराहे पर बेटे को लेकर उतर गई और गायब हो गई। उसने रतलाम में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई लेकिन बाद में पता चला कि उसकी पत्नी इलियास अहमद कुरैशी के साथ चली गई है।
महेश ने बेटे को साथ लेजाने पर आपत्ति जताई लेकिन प्रार्थना ने बेटा सौंपने से इनकार कर दिया। इस पर महेश ने बेटे की कस्टडी के लिए शाजापुर में केस दाखिल किया। पहले उसे पत्नी के ठिकाने के बारे में पता नहीं चला लेकिन बाद में जानकारी मिली कि वह खजराना में इलियास के साथ रहती है और बेटा उसके पास है। उसने धर्म बदल लिया है और बच्चे को भी जबरन मुस्लिम बना दिया है।
महेश का आरोप था कि बच्चे के स्कूल में दाखिल के लिए सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी की, उनकी पत्नी और बेटे को जबरन इस्लाम में परिवर्तित(Religious Conversion) कर दिया, तथा उन्हें मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार रहने के लिए मजबूर किया। अदालत(Indore) ने इन आरोपों को सही माना। कोर्ट ने कहा कि एक अन्य आरोपी मोहम्मद जफर अली ने नाबालिग बच्चे का आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र जाली बनाया था। कोर्ट ने माना कि यह जालसाजी अभियुक्त प्रार्थना और कुरैशी की संलिप्तता और मंशा के बिना नहीं की जा सकती थी। कोर्ट ने जाली दस्तावेज तैयार करने के लिए भारतीय दंड संहिता और जबरन धर्मांतरण के लिए मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य कानून के तहत प्रार्थना, इलियास और जफर को सजा सुनाई।