17 villages will be remapped - मध्यप्रदेश में कई नए हाईवे, एक्सप्रेस वे बन रहे हैं। इनके लिए बड़े पैमाने पर जमीनों की जरूरत है जोकि कृषि भूमि लेकर पूरी की जा रही है।
17 villages will be remapped - मध्यप्रदेश में कई नए हाईवे, एक्सप्रेस वे बन रहे हैं। इनके लिए बड़े पैमाने पर जमीनों की जरूरत है जोकि कृषि भूमि लेकर पूरी की जा रही है। मप्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन यानि एमपीआईडीसी के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए भी कई सौ हेक्टेयर जमीन की दरकार है। इस कॉरिडोर के लिए प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन गांवों की भू संरचना में जबर्दस्त फेरबदल होगा। इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए 1 हजार से ज्यादा जमीन जाने से इन गांवों का नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा। इसके लिए भू-स्वामियों द्वारा एमपीआइडीसी के पक्ष में रजिस्ट्री कराना शुरु भी हो गया है।
इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर को अहिल्या पथ से मिलाया जाएगा जिससे 40 किमी का नया कॉरिडोर बनने जा रहा है। यह पीथमपुर से सीधे उज्जैन रोड को जोड़ेगा। इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट पीथमपुर सेक्टर 7 से शुरू होगा, जो 19.4 किमी लंबा होगा और एयरपोर्ट के पीछे ग्राम रिंजलाय तक पहुंचेगा। यहां इसका अहिल्या पथ से कनेक्शन होगा।
इस प्रकार इकोनॉमिक कॉरिडोर पीथमपुर से इंदौर एयरपोर्ट के बीच बनेगा। रिंजलाय से उज्जैन रोड के रेवती के बीच 15 किमी निर्माण होगा। दोनों सड़कें 75 मीटर चौड़ी होगी। दोनों तरफ 300-300 मीटर जमीन ली जाएगी।
इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के कारण 17 गांवों का नक्शा बदल जाएगा। प्रोजेक्ट में इन गांवों की 1331 हेक्टेयर जमीन चली जाएगी। खेतों की जगह सड़क और बिल्डिंगे नजर आएंगी। पूरा प्रोजेक्ट 2410 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा है।
इंदौर में सुनियोजित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए एमपीआइडीसी के पक्ष में रजिस्ट्री होनी शुरू हो गई है। भैसलाय गांव के दो किसानों ने 5.58 हेक्टेयर भूमि की रजिस्ट्री एमपीआइडीसी के पक्ष में कर दी है।
परियोजना में कमर्शियल, रेसिडेंशियल, पीएसपी एवं औद्योगिक भूखंड का विकास किया जाएगा। इससे इंदौर की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिलेगा। परियोजना में 17 गांवों के भू-स्वामियों को जमीन के बदले विकसित भूखंड दिए जा रहे हैं।