MP News: मध्य प्रदेश के डॉक्टर्स ने किया अलर्ट, 100 में से 35-40 लोगों को है ये आदत, टूट रहे परिवार, लगातार बढ़ रहे होर्डिंग डिस्ऑर्डर के मामले, जाने क्या है ये बीमारी, क्या है इसका इलाज...
MP News: पुराना सामान जमा करना, जिसे आमतौर पर लोग सिर्फ आदत या संग्रहण का तरीका मानते हैं, अब गंभीर मानसिक स्थिति के रूप में सामने आ रहा है। एमवायएच के मनोचिकित्सा विभाग में ऐसे केस पहुंचे हैं। इसमें पति-पत्नी, सासबहू या पिता-बेटे के बीच विवाद या मनमुटाव की स्थिति सामने आई।
डॉक्टर्स जब कारणों पर गए तो यह होर्डिंग डिसऑर्डर के निकले। इसमें बगैर किसी ठोस वजह के पुराने सामान को संजो कर रखने की स्थिति बन जाती है। डॉक्टर्स के अनुसार 100 में से लगभग 35 से 40 लोगों को यह आदत होती है। आम तौर पर कई लोग घर के सदस्यों की सलाह पर पुराना सामान एक समय के बाद बेच देते हैं, लेकिन 7 से 10 फीसदी में यह मानसिक बीमारी बन जाती है। समय पर इलाज न किया जाए तो यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति को और खराब कर सकता है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
38 वर्षीय महिला को गमले खरीदने का शौक था। उसने पांच से छह साल में 60 से अधिक अलग अलग रंग के गमले खरीदे। घर छोटा होने से यह हॉल, सीढिय़ों, छत पर भी रखे, लेकिन इनमें किसी भी तरह के पौधे नहीं लगाए। किसी गमले के टूटने पर भी नहीं फेंका। इससे पति-पत्नी के बीच विवाद बढ़ा। मानसिक चिकित्सालय में महिला की काउंसङ्क्षलग हुई। इसके बाद 30 से 40 अनुपयोगी गमले हटाए गए।
एक 45 वर्षीय पुरुष को ट्रॉली बैग खरीदने का शौक था। पूरा परिवार साल में एक बार ही घूमने जाता था। ऐसे में दो से तीन साल में ऑनलाइन ऑफर में 20 ट्रॉली बैग खरीद लिए। इससे पत्नी से विवाद बढ़ा। वह तनाव अधिक रहने से मनोचिकित्सक के पास पहुंचा। उसने अपने शौक से पत्नी को तकलीफ होने की बात कही तो डिसऑर्डर का पता चला।
58 वर्षीय महिला को पुरानी सामग्री जैसे कपड़े, कंबल, स्वेटर, बर्तन आदि को फेंकने में तकलीफ होती थी। पति व बच्चों ने नई-नई सामग्री लाकर दी, लेकिन वह पुरानी चीजों का उपयोग नहीं होने के कारण भी फेंक नहीं पाती थी। छोटे से घर में अलमारी, बैग व अन्य जगह इन सामानों से भर गई। मनोचिकित्सक के पास पहुंची तो काउंसलिंग हुई।
मरीजों की काउंसलिंग में पता चला कि उन्हें कागजों, कपड़े, पुराने जूते, किताबों, कंबल, गमलों, ट्रॉली बैग या एक ही तरह की कई वस्तुएं इका करने की आदत थी। उसी तरह की नई सामग्री आ जाती तो भी वे पुरानी अनुपयोगी चीजों को फेंकने या किसी को देने में असहज महसूस करते हैं। विवाद भी करने लगते हैं।
होर्डिंग डिसऑर्डर मानसिक विकार है। इसमें व्यक्ति किसी वस्तु को किसी भी कीमत पर छोडऩे या फेंकने में असमर्थ महसूस करता है। यह किसी विशेष वस्तु से जुड़ी यादों, डर या भावनात्मक संबंधों से भी उत्पन्न हो सकता है। यह एंटीक सामान जमा करने की आदत से विपरीत होती है।
होर्डिंग डिसऑर्डर न केवल व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है बल्कि घर के अन्य सदस्यों को भी तनाव में रखता है। इससे विवाद की स्थिति बन रही है। जब कोई एक सामान जमा करता है और दूसरा उसे हटाने की कोशिश करता है, तो इससे रिश्तों में तनाव बढ़ता है।
विभाग में ऐसे पारिवारिक विवाद के केस आए हैं। जब कारणों पर गए तो पता चला कि यह होर्डिंग डिसऑर्डर का केस है। ऐसे केस भी आए जब ऑनलाइन खरीदी में छूट पर एक ही प्रकार का सामान अत्यधिक खरीदा गया। कुछ दवाओं व काउंसङ्क्षलग से यह समस्या दूर भी हो जाती है।
-डॉ. राहुल माथुर, मनोचिकित्सक, एमवायएच
होर्डिंग डिसऑर्डर के कई केस सामने आ रहे हैं। अधिकतर बुजुर्ग इस समस्या से ग्रस्त रहते हैं। हाल ही में युवा भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। ऑनलाइन सामान सस्ता खरीदने पर वे कुछ भी अधिक खरीदते हैं व पुराने को फेंकते नहीं हैं। इस विकार के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ानी होगी। पीड़ित व्यक्तियों को सही समय पर इलाज मिलना चाहिए।
-डॉ. निधि जैन, मनोचिकित्सक, इंदौर