MP News: राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मध्य प्रदेश में देश की सबसे छोटी चींटी की खोज की है। यह महज 0.5 mm की होती है। इसके चींटी की 70 से ज्यादा प्रजातियां हो गयी है।
MP News: राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय इंदौर के कीट वैज्ञानिकों ने दमोह जिले में देश की सबसे छोटी चींटी (Smallest Ant of india) की खोज की है। हल्के पीले रंग की यह चींटी मात्र 0.5 मिमी लंबी है। यह प्रजाति भारत में पहले कभी दर्ज नहीं हुई थी। वैज्ञानिक ने इसका नाम अग्रालोमिर्मेट 'दमोह एंट' रखा है। दावा है कि यह भारत की सबसे छोटी चींटी है। कीट वैज्ञानिक की टीम ने तीन साल तक 13-14 जिलों का सर्वेक्षण किया।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में पाई जाने वाली चापड़ा चींटी भी इंदौर में पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम विवर एंट है। यह आम के पेड़ों पर रहती है और अपने लार्वा से पत्तियों को जोड़कर घोंसला बनाती है। यह लाल रंग की बड़ी चींटी है, जिसमें सामान्य चीटियों की तुलना में ज्यादा एसिड होता है। काटने से मधुमक्खी के डंक जैसा सूजन और दर्द होता है।
आकार ही चुनौती यह चींटी हल्के पीले रंग की होती है। इसकी लंबाई 0.5 मिमी है। सिर मात्र 0.2 मिमी का है। आकार में बहुत छोटी होने के कारण इसका अध्ययन चुनौतीपूर्ण रहा। इस पर आगे भी शोध जारी रहेगा।
कीट विशेषज्ञ डॉ. आनंद हरसाना ने बताया कि प्रदेश में इससे 120 साल पहले स्विस एंटोमालॉजिस्ट ने मध्य भारत में शोध किया। तब से अब तक क्षेत्र में विशेष रिसर्च नहीं हुआ। प्रदेश के जंगल, पर्वत श्रृंखला चींटी प्रजातियों के लिए अनुकूल हैं। यह कार्य गाइड डॉ. देबजानी डे की सहायता से किया गया। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइसीएआर) नई दिल्ली के कीट विभाग को भेजा है।
सतपुड़ा में मिली दो चींटियों का नामकरण लेपिसियोटा विलसोली एंट और लेपिसियोटा सतपुड़ा एंट किया है। लेपिसियोटा सतपुड़ा एंट को भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी रंगीन चींटी माना जा रहा है। अब तक मप्र में 40 चींटी प्रजातियां थी। अब ये 70 हो जाएंगी।