NMC New Rule 2025: फैकल्टी योग्यता को लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन ने लागू किए नए नियम, एमपी के मेडिकल कॉलेजों को जल्द मिलेंगी फैकल्टी, पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के नए नियमों से जानें क्या होेगें फायदे...
NMC New Rule 2025: चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नेशनल मेडिकल कमीशन ने मेडिकल संस्थानों के लिए नियम 2025 को अधिसूचित किया है। इसके तहत 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ एसोसिएट प्रोफेसर और 2 वर्ष का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकेंगे। वरिष्ठ रेजीडेंसी अनिवार्य नहीं होगी, लेकिन बेसिक कोर्स इन बायोमेडिकल रिसर्च दो वर्ष में पूर्ण करना अनिवार्य होगा। इसे लेकर इंदौर के ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज में प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस व्यवस्था से मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर नहीं मिलने की समस्या दूर होने की उम्मीद है।
ये नियम एनएमसी के अंतर्गत पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (Post Graduate Medical Education Board) द्वारा लाए गए हैं। इसका उद्देश्य योग्य फैकल्टी के पूल को बढ़ाना और देशभर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी (एमडी, एमएस) की सीटों में विस्तार को सुविधाजनक बनाना है। एक्सपर्ट के अनुसार, सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 75 हजार नई मेडिकल सीटें जोड़ना है, लेकिन बड़ी बाधा योग्य फैकल्टी की उपलब्धता है। नए नियमों से सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली के मौजूदा संसाधनों को सक्रिय कर चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा।
नए मेडिकल कॉलेज अब यूजी और पीजी(UG-PG Course) दोनों कोर्स एक साथ शुरू कर सकेंगे। अधिक फीडर ब्रॉड स्पेशियलिटी को अनुमति दी गई है। माइक्रो बायोलॉजी और फार्माकोलॉजी विभागों में भी शिक्षक नियुक्त किए जा सकेंगे। सीनियर रेजिडेंट के लिए आयु सीमा बढ़ी है। इसमें प्री-क्लिनिकल और पैरा-क्लिनिकल विषयों में नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष कर दी गई है।
● 220 से अधिक बिस्तर वाले गैर-शैक्षणिक सरकारी अस्पताल भी शैक्षणिक संस्थान की गिनती में आएंगे।
● मान्यता प्राप्त सरकारी संस्थानों में 3 साल के सीनियर कंसल्टेंट प्रोफेसर बन सकेंगे।
● छह वर्ष के अनुभव वाले स्पेशलिस्ट डिप्लोमा होल्डर्स असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं।
● एनएमसी, राज्य चिकित्सा परिषद या सरकारी संगठन से संबद्ध संस्थान में पांच वर्षों का अनुभव मान्य होगा।
● फैकल्टी की भारी कमी दूर होगी। (Faculty Shortage Solve)
● सरकारी अस्पतालों और अन्य संस्थानों में कार्यरत अनुभवी डॉक्टर मेडिकल कॉलेजों में पढ़ा सकेंगे।
● नए कोर्स एक साथ शुरू करने की अनुमति से सीटें बढ़ेगी।
● सेवा अवधि के बजाय अनुभव, योग्यता और दक्षता को मान्यता मिलेगी।
● डॉक्टरों को फैकल्टी बनने का अवसर मिलेगा।
● 50 वर्ष तक की आयु में भी सीनियर रेजिडेंट बन सकेंगे।
पोस्ट ग्रेजुएट योग्यता रखने वाले ट्यूटर या डिमॉन्स्ट्रेटर के अनुभव को असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए मान्य माना जाएगा। सुपर स्पेशियलिटी योग्य फैकल्टी को संबंधित स्पेशियलिटी विभागों में भी फैकल्टी के रूप में नामित किया जा सकेगा।