Shri Krishna Janmashtami: मूछ होने के कारण मंदिर में विराजमान श्रीकृष्ण को 'मूछों वाले कृष्णा' नाम से जाना जाता है। खास बात ये हैं कि आज के दिन जन्माष्टमी पर यहां एक भव्य मेला लगता है। जिसमें दूर-दूर से श्रध्दालु इनके दर्शन करने आते हैं।
Shri Krishna Janmashtami:मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के अंतर्गत आने वाले देपालपुर में एक छोटा सा गांव है गिरोता। लेकिन इस गांव का श्रीकृष्ण के भक्तों के समीप एक विशेष महत्व है। इसका कारण ये है कि यहां मूछों वाले अदभुत व निराले श्रीकृष्ण का मंदिर है। खास बात ये है कि देशभर में सिर्फ यहीं एक ऐसा मंदिर हैं, जहां भगवान श्रीकृष्ण के मूछों वाली प्रतिमा के दर्शन होते हैं।
इंदौर शहर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जिले के छोर पर पर बसा गांव गिरोता दूसरी तरफ महाकाल की नगरी उज्जैन से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांव में भगवान श्रीकृष्ण का अति प्राचीन मंदिर है, जिसमें मूछों वाले श्रीकृष्ण की प्रतिमा विराजित है।
मूछ होने के कारण मंदिर में विराजमान श्रीकृष्ण को 'मूछों वाले कृष्णा' नाम से जाना जाता है। खास बात ये हैं कि आज के दिन जन्माष्टमी पर यहां एक भव्य मेला लगाया जाता है। जिसमें मध्य प्रदेश के साथ साथ अन्य राज्यों तक से श्रध्दालु मूछों वाले कृष्णा के दर्शन करने आते हैं। मान्यताओं के चलते आज भी पूरा गांव मंदिर के नीचे से निकलता है। प्राचीनकाल में ये मंदिर लकड़ी का बना हुआ था।
गांव के बुजुर्ग सोहन का कहना है कि समय के साथ-साथ परिवर्तन होते रहे। पहले यहां फाटक और ताले लगाए जाते थे, ताकि गांव में चोर या जंगली जानवर ना घुस सकें। उन्होंने ये भा बताया कि विशेष रूप से जब-जब यहां कोई अनहोनी की संभावना रहती या बारिश नहीं होती तब-तब ग्रामीण मंदिर में इकट्ठे होकर 'हरे कृष्ण हरे राम' का संकीर्तन करते। ये सिलसिला आज भी यहां इसी तरह जारी है। मान्यता के अनुसार इस मंत्र के संकीर्तन से भगवान इनकी पुकार सुनते हैं और वर्षारूपी अपना प्रेम बरसाते हैं।
पूर्व सरपंच शिव सिंह जाधव ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि इस मंदिर का इतिहास पुराना है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि कई साल पहले गांव में भीषण आग लग गई थी। आग इतनी भीषण थी कि उसकी चपेट में आकर यहां के सभी घर जलकर खाक हो गए थे, लेकिन यही एक मंदिर ऐसी इमारत थी, जो उस आगजनी में सुरक्षित बची रही। बताते है कि गांव के आसपास गंभीर नदी होने के कारण ये एकमात्र रास्ता रह जाता है, जहां सभी राहगीरों को इसी मंदिर के नीचे से होकर निकलना पड़ता है।