DNA testing: शहर के रांझी स्थित रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैब (आरफएसएल) में डीएनए टेस्टिंग लैब शुरू हो जाने से सागर, भोपाल और ग्वालियर की लैब पर निर्भरता समाप्त हो गई है।
DNA testing: शहर के रांझी स्थित रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैब (आरफएसएल) में डीएनए टेस्टिंग लैब शुरू हो जाने से सागर, भोपाल और ग्वालियर की लैब पर निर्भरता समाप्त हो गई है। यहां जबलपुर समेत आसपास के सात-आठ जिलों से आने वाले डीएनए सैम्पल की जांच हो रही है। इसकी जांच रिपोर्ट भी एक से डेढ़ सप्ताह में तैयार हो रही है। इससे पहले सैम्पल भोपाल और सागर भेजे जाते थे। वहां से रिपोर्ट के लिए दो-तीन महीने का इंतजार करना पड़ता था। इससे बड़े और विशेष मामलों में पुलिस अधिकारियों को जांच रिपोर्ट के लिए वहां के चक्कर लगाने पड़ते थे।
पुलिस अधिकतर मामलों में डीएनए जांच कराती है। आरएफएसएल जबलपुर से हर माह 150 से अधिक सैम्पल डीएनए जांच के लिए भोपाल स्थित लैब भेजे जाते थे। समय पर जांच रिपोर्ट नहीं मिलने से न्यायालय में रिपोर्ट पेश करने में देरी होती थी। इसलिए शहर में डीएनए लैब खोलने का निर्णय लिया गया। जानकारी के अनुसार शहर में डीएनए लैब शुरू होने से पूर्व भेजे गए सैम्पल्स में एक से डेढ़ हजार मामलों की जांच रिपोर्ट अब भी लम्बित है।
जबलपुर, कटनी, शहडोल, उमरिया, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला समेत आसपास के अन्य जिले।
आरएफएसल में पहले बायोलॉजी लैब ही संचालित हो रही थी। यहां खून, थूक, बाल, चमड़ी, सीमन, यूरिन आदि की जांच होती थी। फिर टॉक्सीकोलॉजी लैब शुरू की गई। इसमें बिसरा, कीड़े व सर्पदंश से मौत के मामले, आग में झुलसे कपड़े व अवशेष की जांच होती थी।
DNA testing: डीएनए जांच के लिए पहले सैम्पल सागर या भोपाल भेजना पड़ता था। जबलपुर में डीएनए लैब शुरू हो जाने से यहीं डीएनए की जांच हो रही है। रिपोर्ट भी जल्दी मिल रही है।