GIS 2.0 - मध्यप्रदेश में जमीनों का डिजिटलाइजेशन सिस्टम अब लोगों के साथ ही पटवारियों के लिए भी सिरदर्द बन गया है।
GIS 2.0 - मध्यप्रदेश में जमीनों का डिजिटलाइजेशन सिस्टम अब लोगों के साथ ही पटवारियों के लिए भी सिरदर्द बन गया है। जमीन रेकॉर्ड को सुधारने के नाम पर अपडेट किए गए वेब जीआईएस 2.0 सॉफ्टवेयर में कई दिक्कतें आ रहीं हैं जिससे जमीन मालिक और पटवारी परेशान हो रहे हैं। प्रदेश में कई जगहों पर जमीन के असली मालिक की बजाए सरकारी रिकॉर्ड में कोई और ही जमीन का मालिक निकल रहा है। जबलपुर जिले में तो ऑनलाइन खसरे में भी नाम दर्ज नहीं हो पा रहा है। पटवारियों ने बाकायदा कलेक्टर को इसकी शिकायत की है।
एमपी में जमीनों के हस्तलिखित रेकॉर्ड को डिजिटल करने एनआईसी के सॉफ्टवेयर पर दर्ज कर ऑनलाइन किया गया था। सन 2018 में जमीन रेकॉर्ड को एनआईसी के सॉफ्टवेयर से हटाकर और पारदर्शी व सुरक्षित बनाने के लिए वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर शुरू किया। इसमें बड़ी संख्या में जमीनों के रेकॉर्ड में गड़बड़ी हुई।
कहीं पर भू मालिक किसानों का नाम गायब हो गया था तो कहीं जमीन का रकबा ही घट-बढ़ गया था। और तो और, कहीं सरकारी जमीन पर ही लोगों के नाम दर्ज हो गए थे और अहस्तांतरणीय जमीन (जिनकी बिक्री नहीं हो सकती) उनसे अहस्तांतरणीय शब्द ही गायब हो गया था। पुरानी गलतियां सुधारने के लिए सिस्टम अपडेट किया गया।
वेब जीआईएस को वेब जीआईएस 2.0 में अपडेट किया गया लेकिन जमीन रेकॉर्ड में फिर नई गड़बड़ियां हो गईं। साल 2018 में रेकॉर्ड में हुई गड़बड़ियां 7 साल बाद भी पूरी तरह से नहीं सुधर पाई थीं और नई गलतियां शुरु हो गईं। इससे जमीन मालिक ही नहीं, अधिकारी कर्मचारी भी परेशान हैं।
जबलपुर में तो जीआईसी 2.00 से परेशान पटवारियों ने सोमवार को राजस्व सचिव के नाम से जिला कलेक्टर जबलपुर को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि जब से जीआईसी 2.00 लागू हुआ है उसमें आम जनता को बहुत समस्या आ रही है। पटवारियों के मुताबिक शामिल शरीक खाते में कई नाम रहते हैं। जब तक सबकी ओटीपी नहीं मिलेगी तब तक नामांतरण आदेश का पालन नहीं हो पाता है। इससे ऑनलाइन खसरे में नाम दर्ज नहीं हो पाता है।
बता दें कि जमीन रेकॉर्ड पोर्टल को जुलाई माह में छह-सात दिन तक बंद रखकर इसे वेब जीआईएस से वेब जीआईएस 2.0 में अपडेट किया गया था। दावा किया गया था कि इससे प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी लेकिन हकीकत यह है कि नए सिस्टम में नई दिक्कतें पैदा हो गई हैं। सिस्टम अपडेट के नाम पर आमजनों की संपत्ति से खिलवाड़ होने की आशंका मंडराने लगी है।