जबलपुर में करोड़ों रुपए कीमती पुरातन मूर्तियां लावारिस पड़ीं सडक़ किनारे, कई हो गईं चोरी
Ancient Sculptures : संस्कारधानी की पहचान आज भी इतिहास के त्रिपुरी क्षेत्र के रूप में होती है। यहां की पुरा संपदा कल्चुरी व गौंडवाना काल के समृद्ध इतिहास को आज भी गर्व के साथ बयां करती है। लेकिन यहीं पुरा अवशेष आज खुद का अस्तित्व नहीं बचा पा रहे हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही के चलते ये धीरे-धीरे मिटती जा रही है। चोरों की नजर भी इन पर है। कई अवशेष चोरी हो चुके हैं तो कुछ मिटने की कगार पर हैं।
पुरातत्व महत्व की सैंकड़ों प्रतिमाएं, पुरातन अवशेष त्रिपुरी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तेवर, गोपालपुर और लम्हेटाघाट में नाली और सडक़ किनारे लावारिस पड़ी हुई हैं। इतिहासकारों के अनुसार ये अवशेष कल्चुरी और गोंडवाना काल के हैं। जिनमें कई ऐसी प्रतिमाएं हैं जो बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है। चूंकि इनका संरक्षण नहीं किया जा रहा है, इसलिए ये सडक़ों के किनारे लावारिस हालत में भगवान भरोसे पड़ी हुई हैं।
तेवर तालाब , गोपालपुर और लम्हेटाघाट में मिले प्रतिमाओं के अवशेषों को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित नहीं किया गया है। जिससे यहां के ग्रामीणों ने उन्हें मंदिरों और चबूतरों में सहेजने का प्रयास किया है। उनका कहना है कि पिछले एक दशक में बहुत सी मूर्तियों के सुंदर अवशेष चोरी हो चुके हैं। चूंकि सडक़ किनारे ये खुले में पड़े हैं इसलिए इनकी सुरक्षा नहीं की जा सकती है।
हजार साल पुरानी पुरा संपदा तेवर तालाब के किनारे खुले में पड़ी है। इनमें भगवान महावीर की प्रतिमा भी शामिल है। जो देखने में बहुत सुंदर है। ग्रामीणों ने बताया ये कई बार चोरों की नजर में आ चुकी है। लेकिन भारी होने के चलते कोई लेकर नहीं गया। ये दो टुकड़ों में है और तालाब किनारे बाकी अवशेषों के साथ पड़ी हुई है।
इतिहासकार डॉ. आनंद सिंह राणा ने बताया तेवर, लम्हेटाघाट, गोपालपुर में जो पुरातत्व अवशेष पड़े हैं। उनमें जो प्रतिमाएं और अवशेष हैं वे दृश्यांकन शैली में मिलेंगी। जो खुद बयां कर देती हैं कि वे कौन सी प्रतिमाएं हैं और क्या कहना चाहती हैं। यह शिल्प अब दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलता है। जो अवशेष हैं उनकी यहां भले ही कोई कीमत न समझ रहा हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत लाखों रुपयों में है। यही वजह है कि चोरों की निगाह इन पर हमेशा बनी रहती है।