जबलपुर

मोबाइल की लत से गलत रास्ते पर चले स्टूडेंट्स, फिर प्राचाार्य ने बना दिए आदर्श स्टूडेंट्स

मोबाइल की लत से गलत रास्ते पर चले स्टूडेंट्स, फिर प्राचाार्य ने बना दिए आदर्श स्टूडेंट्स

3 min read
Oct 17, 2025
Mobile addiction

Mobile addiction : आज नवजात से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक में मोबाइल एक आदत बन चुकी है। इसके बिना कोई नहीं रह पाता है। खासकर बच्चों में इसकी लत लग चुकी है। पढ़ाई लिखाई हो या मनोरंजन हर चीज में मोबाइल सबसे पहले चाहिए होता है। ऐसे में उन पर मानसिक व शारीरिक दुष्परिणाम भी देखने मिल रहे हैं। बच्चों को खेल खेल में कब लत लग गई ये कोई नहीं समझ पा रहा है। इससे अब बच्चों के परिजन भी परेशान होने लगे हैं और वे मोबाइल से दूरी बनाने के लिए मनोविज्ञानियों व स्कूल का सहारा लेते नजर आ रहे हैं। शहर के एक ऐसे ही प्राचार्य हैं जो बच्चों को मोबाइल से दूर किताबें पढऩे, खेलने सहित अन्य फिलिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वे पिछले दो साल में सौ से ज्यादा बच्चों की मोबाइल की लत से छुटकारा दिला चुके हैं।

Mobile addiction

Mobile addiction : सांदीपनि स्कूल अधारताल के प्राचार्य प्रकाश पालीवाल बच्चों को मोबाइल से दूर कर जोड़ रहे किताबों से

  • दो साल में करीब 150 बच्चों के परिजनों ने बताई थी अपने बच्चों में मोबाइल की लत, दूर करने का खुद उठाया जिम्मा
  • लाइब्रेरी, एनसीसी, बैंड दल और स्पोट्र्स से बच्चों को जोडकऱ दूर किया मोबाइल एडिक्शन

Mobile addiction : बच्चों के परिजनों की व्यथा सुनी तो दुख हुआ

सांदीपनि स्कूल अधारताल के प्राचार्य प्रकाश पालीवाल अपनी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को मोबाइल से दूरी बनाने के लिए नित नए प्रयोग व प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया दो साल पहले करीब आधा दर्जन बच्चों के माता पिता मिलने आए और उन्होंने बताया कि उनके बच्चे मोबाइल देखने की लत से अब बिगड़ गए हैं और गलत रास्तों पर जाने लगे हैं। पहले तो दुख हुआ कि उनकी स्कूल के बच्चे ऐसे बन रहे हैं। फिर उन्होंने सभी बच्चों को एनसीसी में कैडेट बना दिया। उनमें अनुशासनहीनता के बजाए अनुशासित जीवन जीना सिखाया। कुछ ही महीनों में वे बच्चे एक आदर्श छात्र बनकर स्कूल में उदाहरण बन गए।

Mobile addiction

Mobile addiction : परिजनों की लग गई लाइन, प्रयास किए तो परिणाम अच्छे आए

प्रकाश पालीवाल ने बताया जो बच्चे मोबाइल के कारण बिगड़े थे वे जब अनुशासित जीवन जीने लगे तो उन्हें देखकर बाकी बच्चों के परिजन भी आने लगे। देखते देखते इनकी संख्या सौ से अधिक हो गई। सभी में एक बात सामान्य थी कि सभी को मोबाइल देखने की लत लगी हुई है। तब निर्णय किया कि अब इससे दूरी बहुत जरूरी हो गई है। तब मैंने बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार किताबें पढऩे के लिए लाइब्रेरी में भेजने लगा। कुछ को खेलकूद में भेजा, बैंड दल में शामिल कर दिया। महज चार महीनों के प्रयास से सभी बच्चों की मोबाइल की लत छूट गई। परिणाम स्वरूप खेलकूद में शामिल बच्चे बेस्ट प्लेयर बन गए। लाइब्रेरी वाले बच्चे किताबें पढऩे में माहिर बन गए, उनकी भाषा सुधरी, बैंड दल ने भी संभाग स्तर पर बेस्ट परफॉर्मेंस दी।

Mobile addiction

Mobile addiction : 150 से ज्यादा बच्चों ने छोड़ा मोबाइल का साथ

स्कूल प्राचार्य द्वारा की गई एक पहल पर टीचर्स ने भी पूरा साथ दिया। जिसके परिणाम स्वरूप दो साल में बुरी संगत, मोबाइल की लत के कारण बिगड़ रहे 150 से अधिक बच्चे ने मोबाइल का साथ छोड़ दिया। वे अब पढ़ाई लिखाई और खेलकूद व संगीत आदि में मन लगाने लगे हैं। वहीं स्कूल प्रबंधन ने नियमित तौर पर अब मोबाइल से बच्चों को दूर करने के लिए परिजनों से संवाद करना शुरू कर दिया है। किताबों से दोस्ती के लिए बच्चों को प्रेरित किया जाने लगा है।

Updated on:
17 Oct 2025 12:11 pm
Published on:
17 Oct 2025 11:19 am
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