fake Medicine In Rajasthan: राजस्थान के सालाना 20 हजार करोड़ के थोक और खुदरा दवा बाजार में करीब 500 से 600 करोड़ रुपए की दवाइयां अमानक और नकली मिल रही हैं।
जयपुर। राजस्थान के सालाना 20 हजार करोड़ के थोक और खुदरा दवा बाजार में करीब 500 से 600 करोड़ रुपए की दवाइयां अमानक और नकली मिल रही हैं। मरीजों के जीवन के लिए खतरा बन सकने वाली ये दवाइयां बाजार में जाने के बाद लिए जा रहे सैंपल में घटिया पाई जा रही हैं।
सैंपल फेल होने के बाद औषधि नियंत्रण आयुक्तालय इन पर रोक लगाने और बाजार से हटाने की पूरी जिम्मेदार निर्माता, थोक और खुदरा विक्रेता को देकर मुक्त हो जाता है। लेकिन, इससे पहले मरीजों को दी जा चुकी दवा की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की जाती।
राजस्थान और मध्यप्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत और बीमार होने के आरोपों के बाद दवा बाजार से लिए जाने वाले सैंपलों की पड़ताल में सामने आया कि इस साल जनवरी से अब तक 98 दवाइयां अमानक पाई जा चुकी हैं। यह आंकड़ा साल के अंत तक करीब 125 तक जाने की आशंका है। पिछले तीन साल के दौरान राज्य में 58 दवाइयां नकली भी पाई गई हैं।
दवा विशेषज्ञों के अनुसार दवा के बैच में 50 हजार से 5 लाख तक टेबलेट या शीशियों का निर्माण किया जाता है। यह निर्माता की उत्पादन क्षमता पर निर्भर करता है कि वह एक बैच में कितनी दवाओं का निर्माण कर सकता है। किसी दस दवा की एक स्ट्रिप की कीमत 250 रुपए है। कंपनी उस बैच की एक लाख स्ट्रिप बनाती है तो उस बैच की कीमत करीब 2.5 करोड़ रुपए होती है। कई बार तो दवा की बड़ी मात्रा बिक जाने पर उसके अमानक या नकली होने का पता चलता है।
औषधि नियंत्रण आयुक्तालय के अधिकारियों के अनुसार अमानक पाए जाते ही सोशल मीडिया चैनल के माध्यम से इसकी जानकारी तत्काल दवा कारोबारियों तक पहुंचाई जाती है। इसके बाद यदि उस दवा की बिलिंग होती है तो दवा विक्रेता पर कार्रवाई की जाती है। किसी व्यापारी ने स्टॉक नहीं हटाया तो वह अवहेलना का दोषी माना जाता है।
नकली और अमानक दवा पर राज्य में प्रभावी कार्रवाई की जा रही है। कफ सिरप मामले में भी राजस्थान की दवा सब स्टैंडर्ड नहीं मिली है। —गजेन्द्र सिंह खींवसर, चिकित्सा मंत्री