जयपुर

जयपुर आर्ट वीक के दूसरे दिन ‘AI’ आधारित कला का प्रदर्शन, JKK में ‘कला और समाज की जिम्मेदारी’ विषय पर हुई चर्चा

Jaipur Art Week: जयपुर आर्ट वीक का आज दूसरा दिन है। राजधानी जयपुर के जवाहर कला केंद्र की अलग-अलग आर्ट गैलरी में पेंटिंग्स और इंस्टालेशन वर्क्स की प्रदर्शनी शुरू हुई।

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Jan 28, 2025

Jaipur Art Week: जयपुर आर्ट वीक का आज दूसरा दिन है। राजधानी जयपुर के जवाहर कला केंद्र की अलग-अलग आर्ट गैलरी में पेंटिंग्स और इंस्टालेशन वर्क्स की प्रदर्शनी शुरू हुई। सुकृति आर्ट गैलेरी में कलाकार एड्रियन फर्नांडीज ने अपनी अनूठी कला का प्रदर्शन किया। वहीं, सुरेख गैलेरी में शिल्पा बवाने ने जयपुर की हवेलियों के आर्किटेक्चर को अपने कला के माध्यम से दर्शाया।

अलंकार गैलेरी में मानसी शाह ने इंस्टॉलेशन वर्क प्रस्तुत किए। वहीं, हर्षित अग्रवाल ने एआई आधारित कला का प्रदर्शन किया। साथ ही वलय गाडा की विशेष प्रदर्शनी ने दर्शकों का ध्यान खींचा। प्रदर्शनी में विविधतापूर्ण आर्ट कलेक्शन का शानदार समागम दिखाई दिया।

‘कला और समाज की जिम्मेदारी’ पर चर्चा

अलंकार आर्ट गैलेरी में ही दोपहर 12:30 से 13:30 तक ‘कला और समाज की जिम्मेदारी’ विषय पर पैनल डिसकशन हुआ। इसमें लिज वेस्ट, नंदन घीया, रितु सिंह, वलय गाडा और मनीषा गेरा बासवानी जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों ने अपने विचार साझा किए। जयपुर आर्ट वीक के जरिए कला प्रेमियों को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की अद्भुत प्रतिभा को करीब से देखने का मौका मिल रहा है। हर कोई उनकी सफलता की कहानी को सुनने को उत्सुक नजर आया।

माता-पिता के संघर्ष से सीखा सबक- लिज वेस्ट

लिज वेस्ट ने बताया कि मेरे माता-पिता दोनों ही कलाकार थे, लेकिन उनको पहचान नहीं मिल सकी। अपने काम को बढ़ावा देने और कला की दुनिया के साथ संवाद करने के उनके संघर्ष ने मुझे मूल्यवान सबक सिखाया। हमारे घर में ही स्टूडियो था, जिसने मुझे आर्टिस्ट बनने को प्रोत्साहित किया।

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के कला विद्यालयों में कला शिक्षक के रूप में मेरे माता-पिता ने मुझमें यह विचार डाला कि रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति आवश्यक है। इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ग्लासगो स्कूल ऑफ आर्ट से अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल की, वहां मैंने मूर्तिकला में अपने कौशल को निखारा और स्थानिक संबंधों की गहरी समझ हासिल की। सीमित संसाधनों के साथ मैंने मैनचेस्टर में अपना स्टूडियो खोला।

भारत और पाकिस्तान के 47 कलाकारों को जोड़ा

मनीषा गेरा बासवानी ने चर्चा के दौरान बताया कि भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान मेरे माता—पिता पाकिस्तान से भारत आ गए। उनके प्यार और सकारात्मकता ने मेरे भाई और मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। जब मैंने पाकिस्तान का दौरा किया तो मेरी यात्रा में एक दिलचस्प मोड़ आया। वहां मैंने कला की दुनिया के सार को कैद करते हुए कलाकार स्टूडियो की तस्वीरें खींचीं। वहां के कलाकारों के साथ बनाए गए संबंधों से मैं बहुत प्रभावित हई।

बासवानी ने कहा कि उन क्षणों ने मेरे भीतर कुछ करने का जज्बा जगाया। मैंने भारत और पाकिस्तान के 47 कलाकारों को एक साथ लाने का फैसला किया। इस काम को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रदर्शित किया गया था। यह सांस्कृतिक विभाजन को पाटने और संबंध को बढ़ावा देने में कला की शक्ति का एक प्रमाण था।

मिलकर काम करना बनी सबसे बड़ी ताकत

रितु सिंह ने बताया कि सहयोग मेरी कलात्मक यात्रा की आधारशिला रही है। कलाकार के रूप में, हम अक्सर खुद को अलगाव में काम करते हुए पाते हैं, लेकिन मैं भाग्यशाली रही कि मुझे पूरा सपोर्ट मिला। कई हाथों और दिमागों का एक साथ काम करना हमारी सबसे बड़ी ताकत रही है। इससे हमें अपरिहार्य चुनौतियों से निपटने, आत्म-संदेह पर काबू पाने और कठिन समय से आगे बढ़ने में मदद मिली है। इसी की बदौलत आज मैं इस मुकाम पर पहुंचने में सफल हो सकी हूं।

Published on:
28 Jan 2025 07:08 pm
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