जयपुर

आखिर राजस्थान में हादसों का दौर क्यों नहीं थम रहा? ज्योतिषाचार्य बोले-ग्रह दे रहे खतरे का संकेत, सावधानी जरूरी

राजस्थान सहित देश में वर्ष 2025 के अंत में ग्रहों की दृष्टि से कुछ असामान्य घटनाएं जिनमें आगजनी, तूफान, सड़क और यान दुर्घटनाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है।

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Nov 03, 2025
फोटो पत्रिका

जयपुर। राजस्थान सहित देश में वर्ष 2025 के अंत में ग्रहों की दृष्टि से कुछ असामान्य घटनाएं जिसमें आगजनी, तूफान, सड़क और यान दुर्घटनाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक यह स्थिति मुख्यतः दो ग्रह ऊर्जा कारक ग्रह मंगल और न्याय के देवता शनि की विशेष चाल के कारण बनी है। उनका कहना है कि ग्रहों का यह विशेष संयोग ऊर्जा, असंतुलन और आकस्मिक परिस्थितियों को जन्म देता है, जिससे ऐसी घटनाओं में वृद्धि तो होती है, परंतु डरने की आवश्यकता नहीं है। सावधानी बेहद जरूरी है।

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तेज चाल में मंगल, वक्री स्थिति में शनि

ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक फिलहाल मंगल ग्रह सामान्य से तेज गति में भ्रमण कर रहा है, जबकि शनि अपनी वक्री (उल्टी) चाल में हैं। सामान्य स्थिति में मंगल औसतन 31 कला और 27 विकला की गति से चलता है, लेकिन जब इसकी चाल 39 कला से ऊपर पहुंचती है, तो इसे अत्यधिक तेज गति वाला कहा जाता है। यह वहीं स्थिति है जो इस समय बनी हुई है।

मंगल की यह तीव्र चाल परिवहन के साधन, प्राकृतिक दुर्घटना, शीतप्रकोप, आगजनी, भूस्खलन से जुड़ी घटनाओं को प्रभावित करती है। वहीं शनि का वक्री होना देरी, बाधा और कभी-कभी अप्रत्याशित परिस्थितियों को जन्म देता है। जब दोनों ग्रहों का प्रभाव एक साथ सक्रिय होता है तो परिवहन, मशीनरी और अग्नि से जुड़ी घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। 28 नवंबर को शनि सीधी चाल चलने से कुछ घटनाओं पर रोक लगेगी।

तुला राशि पर ग्रहों का विशेष प्रभाव

ज्योतिषाचार्य पं. सुधाकर पुरोहित और कृष्णमूर्ति पद्धति विशेषज्ञ पं. मोहनलाल शर्मा ने बताया कि इस समय सूर्य तुला राशि में भ्रमण कर रहे हैं, जबकि राजस्थान की प्रभाव राशि भी तुला ही मानी जाती है। इस कारण राजस्थान और देश के पश्चिमी हिस्से में विशेष रूप अस्थिरता का वातावरण बना हुआ है। मंगल की तीव्रता और सूर्य के तुला राशि में होने से ऊर्जा का असंतुलन बढ़ा है, जिसके कारण कभी तेज वर्षा, आगजनी, सड़क दुर्घटना, शीतलहर की चरम स्थितियां बन रही हैं। शनि का वक्री होना देरी, बाधा और कभी-कभी अप्रत्याशित परिस्थितियों को जन्म देता है।

आगामी समय में सावधानी और संतुलन आवश्यक

पं. मोहनलाल के मुताबिक आने वाले दो महीनों में मंगल की यह गति और तेज होगी, जिससे कुछ क्षेत्रों में भूकंप या अग्नि-सम्बंधित घटनाओं की संभावना बनी रह सकती है। हालांकि इन परिस्थितियों से डरने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि जागरूक रहने और मानसिक शांति बनाए रखने की जरूरत है। ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि इस समय हनुमान जी की आराधना, सुंदरकांड पाठ और मंगलवार को दीपदान जैसे उपाय सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। ग्रहों की चाल कुछ तीव्र जरूर है, लेकिन धैर्य रखने की जरूरत है।

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Updated on:
04 Nov 2025 09:05 am
Published on:
03 Nov 2025 09:23 pm
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