जिन गरीब छात्रों के पास कोई प्रॉपर्टी नहीं है, उनकी विदेश शिक्षा पर संकट खड़ा हो गया है। जाहिर है बिना प्रॉपर्टी के छात्र विदेश में पढ़ाई के लिए नहीं जा पाएंगे।
Free Abroad Education: सरकार ने गरीब और होनहार छात्रों के लिए विदेश में नि:शुुल्क शिक्षा दिलाने की योजना तो शुरू कर दी। लेकिन योजना में चयन के बाद सरकार का एक नियम छात्रों और अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।
योजना में चयनित होने के बाद सरकार छात्रों से पारिवारिक प्रॉपर्टी के दस्तावेज ले रही है। छात्र दस्तावेज की नोटरी से सत्यापित प्रति भी लगा रहे हैं। लेकिन जिन गरीब छात्रों के पास कोई प्रॉपर्टी नहीं है, उनकी विदेश शिक्षा पर संकट खड़ा हो गया है। जाहिर है बिना प्रॉपर्टी के छात्र विदेश में पढ़ाई के लिए नहीं जा पाएंगे।
हाल ही कॉलेज आयुक्तालय ने 2024-25 सत्र की सूची जारी की है। इसमें छात्रों से दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। अभिभावकों की ओर से इस नियम का विरोध किया जा रहा है। अभिभावकों का तर्क है कि जिन गरीब बच्चों का चयन योजना में हो रहा है, उनकी गारंटी कोई भी राजपत्रित अधिकारी कैसे देगा। अगर यह गारंटी नहीं दी तो योजना से वंचित कर दिया जाएगा। ऐसे में चयनित छात्र राजपत्रित अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं।
कॉलेज आयुक्तालय का तर्क है कि योजना मेें छात्र फर्जीवाड़ा कर देते हैं। कई केस ऐसे सामने आए हैं, जिनमें छात्र शिक्षा लेनेे तो विदेश चले गए, लेकिन उन्होंने वहां दूसरा काम शुरू कर दिया। छात्र को जिस देश में शिक्षा के लिए भेजा वह वहां से अन्यत्र चला गया। ऐसे में छात्रों की ओर से फर्जी तरीके से योजना का लाभ लिया जाता है। इसी के कारण शपथ पत्र में लिखवाया जा रहा है कि अगर फर्जीवाड़ा सामने आया तो प्रॉपर्टी बेचकर सरकार विदेश शिक्षा का खर्च चुकाएगी।
अभिभावकों की नाराजगी है कि एक ओर सरकार छात्र से प्रॉपर्टी के दस्तावेज मांग रही दूसरी ओर राजपत्रित अधिकारियों तक की गारंटी ले रही। लेकिन छात्र सरकार पर महज भरोसा रखकर विदेश जा रहे हैं। इसके बाद भी सरकार समय पर छात्रों को शिक्षा का खर्चा जारी नहीं कर रही। इतनी गारंटी और प्रॉपर्टी के दस्तावेज देने के बाद भी जो छात्र विदेश पढ़ने गए हैं, उनके खाने के लाले पड़ रहे हैं।