15 प्रकरणों में कुल 28 कार्मिकों के विरुद्ध विभिन्न अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। राजस्थान प्रशासनिक सेवा के 2 अधिकारियों को निलम्बित किया गया है। वहीं भ्रष्टाचार के 5 मामलों में दोषी कार्मिकों की पेंशन रोकी गई है।
जयपुर। राज्य सरकार में सुशासन और जवाबदेही को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का रुख लगातार सख्त बना हुआ है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की गई है। भ्रष्टाचार, लापरवाही और अनुशासनहीनता के मामलों में 15 प्रकरणों के तहत कुल 28 कार्मिकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।
सरकार के इस कदम ने स्पष्ट संदेश दिया है कि शासन-प्रशासन में ढिलाई, नियमों की अनदेखी या रिश्वतखोरी किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री शर्मा ने स्पष्ट किया है कि सरकारी सेवा में ईमानदारी सर्वोपरि है और दोषी पाए गए अधिकारी-कर्मचारी किसी भी पद पर हों, कार्रवाई से नहीं बच सकेंगे।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों को रिश्वत लेने और नियम विरुद्ध कार्य करने के आरोपों में निलंबित किया गया है। वहीं, चुनाव कार्य में लापरवाही बरतने के एक मामले में एक उपखंड अधिकारी और एक तहसीलदार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने के आदेश दिए गए हैं।
इसी क्रम में सेवा से लगातार अनुपस्थित रहने और कार्य में लापरवाही करने वाले एक कार्मिक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की अनुशंसा भी मंजूर की गई है।
सरकार ने तीन प्रकरणों में 13 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्रदान की है, ताकि लंबित भ्रष्टाचार मामलों का निपटारा तेजी से किया जा सके। भ्रष्टाचार के दो मामलों में दोषसिद्ध अधिकारियों की पूरी पेंशन रोकने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, राज्यपाल द्वारा अनुमोदित तीन अन्य मामलों में पांच अधिकारियों की समानुपातिक पेंशन राशि रोकने का दंड तय किया गया है।
सेवानिवृत्ति के बाद जांच में आरोप साबित होने पर एक मामला राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा गया है। वहीं, नियम 17-सीसीए के तहत अधिकार क्षेत्र से बाहर काम करने पर एक प्राचार्य को दंडित किया गया है। इसके साथ ही, नियम 34-सीसीए के तहत पुनरावलोकन याचिका दाखिल करने वाले एक पुलिस अधिकारी की अपील खारिज करते हुए पूर्व दंड को यथावत रखा गया है।