राजस्थान के 8 शहरों में डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू होने थे। लेकिन, जयपुर को छोड़कर बाकी 7 शहरों में जनहित के विकास से जुड़े कई प्रोजेक्ट अटक गए है।
जयपुर। शहरों में जनहित की विकास परियोजना (डवलपमेंट प्रोजेक्ट) के लिए आसानी से जमीन लेने के लिए लैंड पूलिंग कानून बनाया गया, लेकिन नौकरशाह इसे उपयोग में लेनेे की बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
इसी कारण लैंड पूलिंग स्कीम के तहत डवलपमेंट योजना विकसित करने का काम जयपुर से आगे नहीं बढ़ पाया है। जबकि, जोधपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर, अलवर, भीलवाड़ा, उदयपुर शहर में भी इसी तर्ज पर काम किया जाना था, लेकिन स्थानीय निकायों से सरकार के आदेश को ही दरकिनार कर दिया। जमीन नहीं मिलने के कारण जनहित से जुड़े कई प्रोजेक्ट अटक गए।
केंद्र सरकार लैंड पूलिंग के तहत शहरी योजनाएं विकसित करने के मामले में प्रोत्साहन दे रही है। इस योजना के तहत दोनों टाउनशिप की प्लानिंग की गई है। स्कीम तैयार करने में कंसलटेंसी पर जो भी खर्च आएगा, उसमें से 1 करोड़ की सहभागिता केंद्र की रहेगी।
1. जयपुर, जोधपुर, अजमेर विकास प्राधिकरण: हर विकास प्राधिकरण को कम से कम 100 हेक्टेयर जमीन चिह्नित करनी है।
2. कोटा, बीकानेर, अलवर, भीलवाड़ा, उदयपुर: इन शहरों में हर नगर विकास न्यास को 30 से 50 हेक्टेयर जमीन चिह्नित कर प्रोजेक्ट तैयार करना होगा।
आवासीय स्कीम के साथ ऐसे इलाकों में इकोनॉमिक ग्रोथ कैसे लाई जाए, इसका भी प्लान तैयार किया जाना है। यहां साथ में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाए या वेयर हाउस डवलप हो। संस्थानिक क्षेत्र के लिए भी कुछ हिस्सा हो सकता है।