Good News : खुशखबर... जयपुर के वैज्ञानिकों ने तैयार की जौ की नई किस्म। गजट नोटिफिकेशन होने के बाद प्रदेश में बीयर, चॉकलेट, बेबी फूड के साथ हेल्थ ड्रिंक में काम आने वाले जौ के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता कम हो जाएगी।
Good News : जयपुर के वैज्ञानिकों ने जौ की नई किस्म तैयार कर ली है। जौ की इस किस्म को राष्ट्रीय किस्म चयन समिति ने अनुमोदन भी कर दिया है। अब इसे कृषि मंत्रालय को भेजा जाएगा, वहां से गजट नोटिफिकेशन होने के बाद इसकी प्रदेश में पैदावार शुरू हो जाएगी। ऐसा होने पर बीयर, चॉकलेट, बेबी फूड के साथ हेल्थ ड्रिंक में काम आने वाले जौ के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता कम हो जाएगी।
दुर्गापुरा स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान में तैयार जौ की नई किस्म आर.डी. 3064 पर वैज्ञानिकों ने करीब 10 साल के परीक्षण किया। इसके बाद इस किस्म को तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस किस्म की अधिकतम दाना उपज 91.67 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होगी। इस पौधे की ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर और बालियों की लंबाई 9 से 10 सेंटीमीटर होगी। यह जौ 2 से 4 पानी में 125 से 135 दिन में तैयार हो जाएगा। इसकी दो बालियां आएंगी, जौ का आकार मोटा व अंडाकार होगा। फसल की पैदावार पर जलवायु परिवर्तन का भी असर कम पड़ेगा।
अभी राजस्थान में 62 फीसद जौ पैदा होता है। 25 से 28 ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) है जौ की। 25 प्रतिशत है जौ में ग्लूटन की मात्रा।
इस किस्म को 15 दिन पहले ग्वालियर में हुई 64वीं अखिल भारतीय गेहूं व जौ अनुसंधान परियोजना की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया। बैठक में निर्णय के बाद इसको राष्ट्रीय चयन समिति में पेश किया गया, जहां से इसे पास किया गया।
हैल्थ ड्रिंक्स में काम आने वाली जौ अभी रूस, बेलारूस, बुल्गारिया, यूक्रेन, अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस आदि देशों से आयात की जा रही है। माल्टिंग इंडस्ट्रीज में इस किस्म का जौ ही काम में लिया जाता है।
1- 60 से 62 प्रतिशत जौ राजस्थान में पैदा होता है।
2- 25 से 28 ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) है जौ का, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
3- 25 प्रतिशत है जौ में ग्लूटन की मात्रा।
हम दो किस्म पहले तैयार कर चुके हैं, लेकिन उससे भी बेहतर किस्म तैयार की है। इसकी पैदावार शुरू होने पर जौ में हम आत्मनिर्भर हो जाएंगे।
प्रोफेसर बलराज सिंह, कुलगुरु, श्रीकर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर