
ढींगरी मशरुम की नई प्रजाति गोल्डन ओएस्टर मशरुम। फोटो पत्रिका
Good News : उदयपुर जिले में ऋषभदेव तहसील के सागवाड़ापाल स्थित जंगल में ढींगरी मशरुम की नई प्रजाति गोल्डन ओएस्टर मिली है। जिसका वैज्ञानिक नाम प्लूरोटस सिट्रिनोपिलेटस है। यह खादय एवं औषधीय गुणयुक्त है। इसकी जानकारी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में संचालित अखिल भारतीय समन्वित मशरुम अनुसन्धान परियोजना के दल ने के सर्वेक्षण में सामने आई है। दल ने राजस्थान के विभिन्न वन क्षेत्रों का दो माह तक गहन सर्वेक्षण किया था।
अखिल भारतीय समन्वित मशरुम अनुसन्धान परियोजना के मुख्य वैज्ञानिक प्रो. नारायण लाल मीना ने खुशी जताते हुए बताया कि इस प्रकार की गोल्डन ओएस्टर प्रजाति राजस्थान में प्रथम बार रिपोर्ट हुई है। इस मशरुम का रंग सोने के रंग जैसा है। गोल्डन ओएस्टर प्रजाति एक स्वस्थ आहार एवं औषद्यीय के लिए एक मूल्यवान खाद्य मशरुम है।
सूक्ष्म पोषक तत्व, विभिन बायोएक्टिव यौगिक जैसे पॉलिसैक्राइड, एमिनोएसिड तथा अन्य पोषक तत्वों का भी अच्छा स्रोत है। एमिनोएसिड में ग्लुटामिन, एस्पार्टिक एसिड, विटामिन्स में विटामिन डी पोटेशियम, फॉस्फोरस, मेग्नीशियम एवं एंटीऑक्सिडेंट्स में फिनॉल, लेवेनॉयड्स पाया गया, जो कोशिका को नष्ट होने से बचाता है। वसा अमल विशेष रूप से पामिटिक, ओलिक और लिनोलिक एसिड का भी अच्छा स्रोत है।
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के अधीन चबाघाट सोलन हिमाचल प्रदेश स्थित मशरुम अनुसन्धान निदेशालय इस पर अनुसन्धान कर रहा है। विभिन्न जलवायु क्षेत्रों के वन क्षेत्र एवं मरुस्थलों से खादय एवं औषधीय मशरुम के जर्मप्लाज्म संग्रहण एवं संरक्षण किए जा रहे है।
इस मशरूम के कैप का परिमाप 18 गुणा 12 सेमी., कॉनकेट टाइप तथा तने का परिमाप 9 गुणा 1.7 सेमी, एक फ्रेश मशरुम के गुच्छे का वजन 300 ग्राम पाया गया है। यह पोषणीय एवं औषधीय गुणों के कारण महत्त्वपूर्ण है। इसमें प्रोटीन 31.7 प्रतिशत, रेशा लगभग 25.7 प्रतिशत और सेल्यूलोस, हेमिसेलुलोसे और स्टार्च की अच्छी मात्रा होती है, इसमें वसा की मात्रा 1 प्रतिशत कम व लिग्निन भी पाया जाता है।
Published on:
13 Jul 2025 12:08 pm
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