यूरोपीय यूनियन कमीशन ने ईयूडीआर नियम 31 दिसंबर 2025 से लागू करने का फैसला किया है। यह नियम लकड़ी और प्लाईवुड उत्पादों पर लागू होगा। इससे राजस्थान के हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों में चिंता बढ़ी है। उद्योग को निर्यात में 70-80% गिरावट की आशंका है।
जयपुर: यूरोपियन यूनियन कमीशन ने ऐसा फैसला लिया है, जिसने राजस्थान के हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। कमीशन ने यू-टर्न लेते हुए यूरोपियन यूनियन डिफोरेस्टेशन रेगुलेशन (ईयूडीआर) को अब 31 दिसंबर 2025 या उसके बाद यूरोप में प्रवेश करने वाली लकड़ी और प्लाईवुड से बने उत्पादों पर लागू करने का निर्णय लिया है।
हालांकि, यह नियम पहले 31 दिसंबर 2024 से लागू होना था। सितंबर में जब ईयू कमीशन ने इसे एक वर्ष के लिए टालने की घोषणा की थी, तब निर्यातकों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब दिवाली के मौके पर लिए गए इस नए निर्णय ने उनके लिए एक बार फिर अनिश्चितता बढ़ा दी है। एक्सपोर्टर्स का कहना है कि यह फैसला अमरीकी टैरिफ संकट के बाद दूसरी बड़ी गाज की तरह गिरा है।
ईयूडीआर का उद्देश्य वनों की कटाई और पर्यावरणीय क्षति को रोकना है, लेकिन भारतीय निर्यातकों का कहना है कि बिना पर्याप्त तैयारी और तकनीकी सहायता के इसे लागू करने से विकासशील देशों की निर्यात प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी। हैंडीक्राफ्ट उद्योग को उम्मीद है कि सरकार यूरोपीय कमीशन से बातचीत कर समयसीमा बढ़ाने या वैकल्पिक व्यवस्था पर सहमति बनाएगी, ताकि राहत मिल सके।
राजस्थान से हर साल करीब 9000 करोड़ रुपए का हैंडीक्राफ्ट निर्यात होता है। इसमें अमरीका और यूरोप सबसे बड़े बाजार हैं। अमरीका द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ के बाद पहले से ही 30 से 40 प्रतिशत तक गिरावट की आशंका जताई जा रही थी।
लेकिन अब ईयूडीआर लागू होने के बाद कुल निर्यात में 70 से 80 प्रतिशत तक की गिरावट होने की संभावना बताई जा रही है। ईयूडीआर का दायरा काफी व्यापक है। इसके तहत लकड़ी, प्लाईवुड, चमड़ा, कागज, कॉफी, मांस और रबर जैसे उत्पादों को शामिल किया गया है।
हैंडीक्राफ्ट उद्योग पहले से ही मांग में गिरावट और बढ़ते उत्पादन खर्च के कारण दबाव में है। अब यूरोपीय बाजार में प्रवेश के लिए नए मानक आने से ऑर्डर्स पर असर पडऩा तय माना जा रहा है। कई निर्यातकों ने कहा कि इससे न केवल निर्यात घटेगा, बल्कि रोजगार पर भी सीधा असर पड़ेगा। क्योंकि प्रदेश में लाखों कारीगर इस उद्योग पर निर्भर हैं।
ईयूडीआर लागू होने से निर्यातकों को सबसे बड़ी दिक्कत कमजोर आईटी सिस्टम और आवश्यक इंफ्रास्ट्रचर की कमी के कारण होगी। हर उत्पाद की जियो टैगिंग और ट्रैकिंग जैसी शर्तें छोटे और मझोले निर्यातकों के लिए लगभग असंभव होगी।
-नवनीत झालानी, कोऑर्डिनेटर, राजस्थान हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स जॉइंट फोरम