जयपुर

Highway Safety : भांकरोटा से सावरदा तक लापरवाही की एक ही कहानी, ढाबों से डिपो तक अव्यवस्था का खेल ले रहा जान

Sawarda Collision: सड़क किनारे खड़े वाहन बनते हादसों का कारण। गैस फिलिंग प्लांट और पेट्रोलियम डिपो पर ड्राइवरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। 'अपना घर' जैसी सुविधाएं अभी तक शुरू नहीं हुईं।

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Oct 10, 2025
photo; Patrika Network

मोहित शर्मा.

Gas Tanker Accidents: जयपुर. राजस्थान के हाईवे पर गैस और पेट्रोलियम पदार्थ से भरे टैंकर किसी चलते-फिरते 'बम' से कम नहीं हैं। इन वाहनों के लिए सुविधाओं की कमी और तेल कंपनियों की अव्यवस्थित कार्यप्रणाली इन्हें और खतरनाक बना रही है। हाल ही में जयपुर-अजमेर हाइवे पर दूदू के सावरदा में गैस सिलेंडरों से भरे ट्रक और केमिकल टैंकर की टक्कर ने इस लापरवाही को उजागर किया। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हुई, कई घायल हुए और जयपुर-अजमेर हाईवे पर अफरा-तफरी मच गई। यह घटना दिसंबर 2024 में भांकरोटा में हुए भयावह एलपीजी टैंकर विस्फोट की याद दिलाती है, जिसमें 20 से अधिक लोगों की जान गई और 30 से ज्यादा घायल हुए थे।

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भांकरोटा हादसे से सबक नहीं

भांकरोटा हादसे में 50 से अधिक वाहन जल गए और कई लोग आज भी उस दर्द को झेल रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन और तेल कंपनियां सतर्क नहीं हुईं। सड? किनारे खड़े गैस और पेट्रोलियम वाहन हादसों को न्योता दे रहे हैं। सावरदा हादसा भी इसी लापरवाही का परिणाम था, जहां एक ढाबे के पास खड़े ट्रक को केमिकल टैंकर ने टक्कर मार दी।

सुविधाओं की कमी, मजबूरी बन रही जानलेवा

गैस फिलिंग प्लांट और पेट्रोलियम डिपो पर ड्राइवरों के लिए ठहरने, खाने-पीने, शौचालय और आराम की कोई व्यवस्था नहीं है। 'अपना घर' जैसी सुविधाएं अभी तक शुरू नहीं हुईं। मजबूरी में ड्राइवर सडक़ किनारे ढाबों पर ट्रक पार्क करते हैं, जहां वे खाना खाते और आराम करते हैं। सावरदा हादसे में भी ड्राइवर ढाबे पर खाना खा रहा था, जब टक्कर हुई।

व्यवस्था में खामियां और समाधान

राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने इस समस्या पर चिंता जताई है। पिछले सात माह में 27 पंजीकृत पत्र प्रमुख शासन सचिव खाद्य भवानी सिंह देथा को भेजे गए, चार बैठकें निरस्त हुईं और मुख्यमंत्री के निर्देश भी लागू नहीं हुए।

  • डिपो का समय : डिपो सुबह 9-10 बजे खुलते हैं, जिससे सप्लाई में देरी होती है। यदि ये सुबह 5-6 बजे खुलें, तो दिन में ही वाहन गंतव्य तक पहुंच सकते हैं।
  • रात में संचालन पर रोक : रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक इन वाहनों का संचालन बंद होना चाहिए। व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) से तेल कंपनियां रात में चलने वाले वाहनों को रोक सकती हैं।
  • प्राथमिकता का अभाव : लंबी दूरी के वाहनों को समय पर आपूर्ति नहीं मिलती, जिससे हादसों का खतरा बढ़ता है।

कई लापरवाहियां उजागर

तेल कंपनियां सिलेंडरों की टैगिंग और जांच में लापरवाही बरतती हैं, जिससे लीक होने वाले सिलेंडर सप्लाई में चले जाते हैं। इस संबंध में राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने 20 अगस्त 2025 को इसके लिए एक विधिक नोटिस तेल कंपनियों को दिया। पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) के नियमों के अनुसार, सिलेंडर डिलीवरी अनुमोदित वाहनों से होनी चाहिए, लेकिन मोटरसाइकिलों और असुरक्षित वाहनों का उपयोग हो रहा है। सड? पर ज्वलनशील पदार्थों के वाहन पार्क करना प्रतिबंधित है, फिर भी ढाबों पर यह आम है। गोदामों में भी क्षमता से अधिक सिलेंडर रखे जाते हैं।

बुनियादी सुविधाओं की कमी बड़ा कारण

इस संबंध में पूर्व में खाद्य सचिव भवानी सिंह देथा को ज्ञापन सौंपकर इन सभी मुद्दों से अवगत कराया था और हादसों से बचाव के उपाय भी सुझाए थे। इसके बावजूद, जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और हाईवे पर खतरे लगातार मंडरा रहे हैं। ड्राइवर्स की बुनियादी सुविधाओं की कमी और लापरवाही ही इन हादसों की जड़ है।

डॉ. राजेंद्र सिंह भाटी, अध्यक्ष राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन

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Published on:
10 Oct 2025 11:54 am
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