Rajasthan News: हॉलैंड में तोड़ दी थी दद्दा की स्टिक: मेजर ध्यानचंद ने खेल जीवन में 1 हजार से अधिक गोल दागे। वर्ष 1956 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार दिया गया।
Sports Day Today: फील्ड हॉकी में पूरे विश्व में भारत का परचम बुलंद करने वाले हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बारे में जितना कहा जाए, कम है। वहीं एक बात जो उनकी सबसे अलग थी, वह थी उनकी सरलता। एक ओर जहां जरा सी सफलता के बाद किसी खिलाड़ी में गुरूर आ जाता है। वहीं इतने महान होने के बाद भी दद्दा बहुत ही सरल थे। जब हम उनके साथ कहीं जाते और कोई भी उनसे हॉकी की बात करता तो वे एकदम बचपन में पहुंच जाते और हॉकी की एक-एक बात विस्तार से बताते।
यह कहना है भारत के महान हॉकी कप्तान रहे मेजर ध्यानचंद के पोते और सीनियर हॉकी कोच विशाल ध्यानचंद का। विशाल ने ध्यानचंद की जन्मतिथि जिसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है कि पूर्व संध्या पर पत्रिका से बात करते हुए दद्दा के साथ उनके बिताए समय को याद किया।
हॉलैंड में तोड़ दी थी दद्दा की स्टिक: मेजर ध्यानचंद ने खेल जीवन में 1 हजार से अधिक गोल दागे। वर्ष 1956 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार दिया गया। मैदान में ध्यानचंद की स्टिक से गेंद चिपकी रहती, जिससे प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को आशंका होती कि वे जादुई स्टिक से खेल रहे हैं।
एक बार हॉलैंड में इसी आशंका के कारण उनकी स्टिक तोड़ कर देखी गई। जापान में ध्यानचंद की हॉकी स्टिक के बारे में उस पर गोंद लगे होने की बात कही गई। जर्मनी के खिलाफ उनका खेल देखकर हिटलर चकित रह गया था।
विशाल ने कहा कि जब दद्दा 60 वर्ष के हो गए। तब हम झांसी में रहते थे। मैं बहुत छोटा था, तब उनके साथ एक हॉकी टूर्नामेंट के उद्घाटन में गया था। वहां भारी भीड़ थी। किसी ने कहा कि दद्दा आपको दिक्कत तो नहीं होगी तो उन्होंने कहा कि हॉकी मैच में कैसी दिक्कत भई।
इसके बाद टूर्नामेंट के उद्घाटन में दद्दा को बॉल हिट करने को कहा। दद्दा ने कहा कि गेंद को हाफ में रख दो। इसके बाद उन्होंने वहां से शॉट लगाया और गेंद सीधे गोल पोस्ट के बीच में थी। दद्दा का गजब निशाना था। तब मैंने समझा कि क्यों दद्दा को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। विशाल ने कहा कि मेरे बेटे का जन्म दद्दा की सौवीं जयंती पर हुआ था। उन्होंने कहा कि ध्यानचंद की चौथी पीढ़ी भी हॉकी खेल रही है। वह नेशनल प्लेयर है।
वर्ष 1935 में भारतीय हॉकी टीम जब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे पर गई थी। तब भारतीय टीम का एक मैच एडिलेड में था। ब्रैडमैन भी एडिलेड में मैच खेलने आए थे। ब्रैडमैन ने तब ध्यानचंद का खेल देखने के बाद कहा था कि वे इस तरह से गोल करते हैं, जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं। ध्यानचंद ने इस दौरे में 48 मैच में 201 गोल दागे तो उन्होंने कहा था कि यह किसी हॉकी खिलाड़ी ने बनाए या बल्लेबाज ने।