बोरवेल और कुओं के उपयोग और सुरक्षा इंतजामों की नियमित निगरानी के लिए पंचायतीराज विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी की है।
जयपुर। बोरवेल में बच्चों के गिरने के घातक हादसों के बाद राजस्थान की 11 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों में स्थित बोरवेल और कुओं का डेटाबेस तैयार किया जाएगा।
बोरवेल और कुओं के उपयोग और सुरक्षा इंतजामों की नियमित निगरानी के लिए पंचायतीराज विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी की है।
इसमें सरकार ने खुले बोरवेल के लिए अब ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद के सीईओ तक की जिम्मेदारी तय की है। ग्रामीण क्षेत्र में बोरवेल करने से 15 दिन पहले भूमि मालिक को ग्राम पंचायत को लिखित में सूचना देनी होगी।
1. कुएं या बोरवेल के निर्माण के समय साइन बोर्ड लगाया जाएगा। जिसमें ड्रिलिंग करने वाले और उसका उपयोग करने वाले व्यक्ति का पूरा पता लिखा हुआ होगा।
2. कुएं के निर्माण के दौरान कांटेदार तारबंदी या बाड़ करनी होगी। जो बोरवेल और कुएं यांत्रिक विफलता के कारण उपयोग में नहीं आ रहे हैं उन्हें ठीक से सील करना होगा।
3. इस प्रक्रिया को सरकारी अधिकारी से सत्यापित करवाकर उसका दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।
बोरवेल के निरीक्षण के दौरान सर्वोच्च न्यायलय के निर्देशों की पालना नहीं करने पर जिला कलक्टर की ओर से बोरवेल की एनओसी रद्द करने और बोरवेल को सील करने के साथ जुर्माना लगाया जा सकेगा। यदि बोरवेल उपयोग में नहीं आ रहा तो संबंधित व्यक्ति को ग्राम पंचायत से यह प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होगा कि संबंधित बोरवेल को जमीनी स्तर तक भर दिया है।
उल्लेखनीय है कि गत 26 दिसम्बर को मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए गए थे कि आगामी दो सप्ताह में सभी जिला कलक्टर यह सुनिश्चित करें कि बोरवेल खुले नहीं हों। इसके बाद कुछ जगहों पर बोरवेल एवं कुएं ढकवाए गए, लेकिन अभी तक इनकी नियमित निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं थी।
अब ग्रामीण क्षेत्र में बोरवेल खुले रहने पर ग्राम पंचायत और इससे जुड़े ब्लॉक और जिला स्तर के अधिकारी जिम्मेदार होंगे। पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव डॉ. जोगाराम ने सभी जिला परिषद के सीईओ इसकी पालना करने का आदेश दिया है।