Jaipur Jail News: उनके खिलाफ एसएमएस अस्पताल थाने के एसएचओ ने फरारी का केस दर्ज कराया है।
Jaipur jail escape scandal: जयपुर सेंट्रल जेल में कैदियों और प्रशासन के बीच चल रही मिलीभगत का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। जेल में बंद चार गंभीर अपराधों के आरोपी अंकित, कर, रफीक उर्फ बकरी और भंवर को एसएमएस अस्पताल में इलाज के नाम पर बाहर निकाला गया, लेकिन जांच में सामने आया कि यह सब एक सुनियोजित साजिश थी। उन चारों के खिलाफ एसएमएस अस्पताल थाने के एसएचओ ने फरारी का केस दर्ज कराया है।
बताया जा रहा है कि इन कैदियों ने एक माह पूर्व जेल के डॉक्टर से सांठगांठ कर एलर्जी के नाम पर पर्ची कटवाई थी, जिसके जरिए उन्हें एसएमएस अस्पताल रेफर किया गया। पुलिस की जांच में सामने आया कि अंकित और करण अलग-अलग होटलों में पहुंचे जहां उनकी गर्लफ्रेंड्स पहले से मौजूद थीं। ये दोनों होटल एयरपोर्ट इलाके में हैं।
उधर रफीक की पत्नी इरा को जालूपुरा थाना पुलिस ने चरस के साथ एनडीपीएस एक्ट में पकड़ा, जबकि भंवर की तलाकशुदा प्रेमिका पूनम पुलिस को देखकर मौके से फरार हो गई। वहीं अंकित की गर्लफ्रेंड कोमल को भी हिरासत में लेने की जानकारी सामने आ रही है। उधर रफीक की पत्नी को भी होटल के नजदीक से पकड़ा गया। वह अपने पति के लिए चरस लेकर पहुंची थी। बताया जा रहा है कि उसने ही होटल में रूम बुक कराया था। यहां तक भी सूचना आ रही है कि चालानी गार्ड्स ने ही कैब बुक कराई थी। हांलाकि इस पूरे मामले का आज दोपहर में पुलिस खुलासा करने की तैयारी कर रही है।
प्रारंभिक जानकारी में सामने आया है कि कैदियों ने इस योजना की तैयारी 20 दिन पहले ही कर ली थी। जेल के अंदर से ही किसी व्यक्ति के जरिए रुपयों के लेनदेन की भी सूचना सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि जेल में पैसों का खेल चलता है और बड़े स्तर पर पैसा पहुंचाया जाता है। इस पूरे नेटवर्क का जिम्मा भी एक सजायाफ्ता कैदी के पास होना सामने आ रहा है। हांलाकि इस बारे में पुलिस अधिकारी अभी कुछ खुलासा नहीं कर रहे हैं।
शनिवार सवेरे से शाम तक हुए इस पूरे घटनाक्रम में फिलहाल दो केस दर्ज किए गए हैं। एक केस एसएमएस पुलिस थाने में दर्ज किया गया है जिसकी जांच लालकोठी थानापुलिस कर रही है। दूसरा केस जालूपुरा थाने में दर्ज किया गया है जो कि एनडीपीएस का केस है। इसकी जांच भी शुरू कर दी गई है। जयपुर कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ खुद इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे। अब जेल प्रशासन, चालानी गार्ड, डॉक्टर और अन्य कर्मचारियों की भूमिका पर शिकंजा कसता दिख रहा है।