Sky city on the Jaipur Metro route: जयपुर। राजधानी का शहरी नक्शा अब मेट्रो की पटरी के साथ बदलने जा रहा है। मेट्रो के आसपास आवास, ऑफिस और व्यावसायिक केंद्रों का नया गगनचुंबी शहर बसने का रास्ता साफ हो गया है। जयपुर में मेट्रो रूट के साथ 5 ट्रांजिट ओरिएंटेड डवलपमेंट (टीओडी) काॅरिडोर तय किए गए हैं, जिनकी कुल लंबाई 6.9 किलोमीटर होगी।
Sky city on the Jaipur Metro route: जयपुर। राजधानी का शहरी नक्शा अब मेट्रो की पटरी के साथ बदलने जा रहा है। मेट्रो के आसपास आवास, ऑफिस और व्यावसायिक केंद्रों का नया गगनचुंबी शहर बसने का रास्ता साफ हो गया है। जयपुर में मेट्रो रूट के साथ 5 ट्रांजिट ओरिएंटेड डवलपमेंट (टीओडी) काॅरिडोर तय किए गए हैं, जिनकी कुल लंबाई 6.9 किलोमीटर होगी। नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा की मंजूरी के बाद जेडीए ने कॉरिडोर रूट फाइनल किया। नए साल में इसी तर्ज पर राज्य के अन्य शहरों में भी टीओडी की शुरुआत करने की तैयारी है।
‘अर्बन रिफॉर्म्स’ के नाम पर कॉरिडोर के दोनों ओर 500-500 मीटर के दायरे में 750 वर्गमीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाले भू-खंडों पर ऊंची इमारतें बनाने की अनुमति होगी। केन्द्र सरकार प्रत्येक टीओडी जोन को 10 करोड़ रुपए देगी। जयपुर को कुल 50 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता मिलेगी।
- ज्यादा एफएआर- एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेश्यो में बढ़ोतरी प्रस्तावित है। एफएआर बढ़ने से उसी भूखंड पर ज्यादा मंजिलें, ज्यादा फ्लैट या ज्यादा ऑफिस स्पेस तैयार किए जा सकेंगे। मसलन, भूखंड का एरिया 1000 वर्गमीटर है और एफएआर 2.0 है, तो कुल 2000 वर्गमीटर क्षेत्रफल का स्पेस निर्मित कर सकते हैं।
- क्लब कर सकेंगे भूखंड- दो या अधिक भूखंडों को आपस में जोड़कर पुनर्गठन की अनुमति होगी, जिसमें निर्माण के बाद प्रत्येक भूखंडधारी को उसके क्षेत्रफल के अनुपात में हिस्सा मिलेगा। भले ही भूखंड मालिक अलग-अलग ही क्यों न हों।
- सेटबैक में छूट- भूखंड पर इमारत निर्माण में तय सेटबैक से ज्यादा छूट देने का विचार है, ताकि जमीन जोड़कर निर्माण करने वालों को अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र का लाभ मिल सके।
टीओडी एक ऐसी शहरी योजना है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन केन्द्रों (मेट्रो, रेलवे स्टेशन और बस टर्मिनल) के आसपास आवास, कार्यालय, दुकानें, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित की जाती हैं। इसका उद्देश्य निजी वाहनों पर निर्भरता कम करना, पैदल चलने और साइकिल को बढ़ावा देना, ट्रैफिक जाम और प्रदूषण घटाना तथा समय और ईंधन की बचत सुनिश्चित करना है।
ऐसे जोन के आस-पास वर्टिकल डवलपमेंट की छूट रहेगी तो आबादी ज्यादा बसेगी। जबकि, अभी वहां सड़क, सीवरेज, ड्रेनेज, बिजली, पानी सहित अन्य सुविधाएं मौजूदा आबादी के अनुपात में ही है। ऐसे में इन सुविधाओं को बढ़ाना भी जरूरी होगा, नहीं तो भारी परेशानी होगी।