जयपुर शहर की सब्जी मंडियों में कचरा निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं है। मुहाना से लेकर शहर के बीचों बीच स्थित सब्जी मंडियों का एक जैसा हाल है। यहां न सिर्फ सफाई की अनदेखी हो रही है, बल्कि प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग भी धड़ल्ले से हो रहा है।
जयपुर शहर की सब्जी मंडियों में कचरा निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं है। मुहाना से लेकर शहर के बीचों बीच स्थित सब्जी मंडियों का एक जैसा हाल है। यहां न सिर्फ सफाई की अनदेखी हो रही है, बल्कि प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग भी धड़ल्ले से हो रहा है। ज्यादातर सब्जी मंडियों में निगम अंदर जाकर कचरा नहीं उठाता, बाहर से सफाई जरूर करवाता है।
ऐसी स्थिति में सब्जी मंडी समितियां अपने स्तर पर कचरे का बेचान करने से लेकर निस्तारण प्रक्रिया को अपना रही हैं। एक पॉइंट तय कर रखा है। वहां व्यापारी खराब सब्जी और फलों को डालते हैं।लालकोठी सब्जी मंडी के एक हिस्से में खराब सब्जी का ढेर लगा मिला। दुर्गंध इतनी आ रही थी कि लोग मुंह ढककर निकल रहे थे। व्यापारियों ने स्वीकार किया कि पशुपालक सब्जी लेकर जाते हैं। हालांकि, इनका कोई समय तय नहीं है।
20 टन कचरा अन्य सब्जी मंडियों से निकलता रोज
40 से अधिक सब्जी मंडियां शहर के विभिन्न इलाकों में
20 टन कचरा रोज मुहाना से निकलता सब्जियों का
●प्रत्येक मंडी में निगरानी दल की नियुक्ति की जाए। इसमें व्यापारियों और निगम अधिकारियों को जोड़ा जाए।
●सब्जी मंडी के हर व्यापारी की जिमेदारी तय की जाए।
●सीसीटीवी कैमरों से रियल टाइम निगरानी की जाए।
●निगम मंडियों में कपोस्टिंग यूनिट स्थापित करे। ऐसे में मौके पर ही फल-सब्जी अपशिष्ट से जैविक खाद तैयार की जा सकती है।
●यदि सब्जी जहरीली नहीं है और थोड़ी खराब है तो इसे चारे के रूप में गोशालाओं को भेजा जा सकता है। इसके लिए निगम केंद्र स्थापित करे।
सांगानेरी गेट, कंवर नगर, श्याम नगर, जवाहर नगर से लेकर झोटवाड़ा, हसनपुरा की सब्जी मंडियों में कचरा संग्रहण की कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि कचरा उत्पादन के बडे़ केंद्रों को शहरी सरकारों ने उनके भरोसे क्यों छोड़ रखा है?
हम एक जगह खराब सब्जी एकत्र कर देते हैं। वहां से पशुपालक ले जाते हैं। मानसून के दौरान दिक्कत है। पशुपालक भी कम आ रहे हैं। सब्जी मंडी की सफाई के लिए अपने स्तर पर सफाईकर्मी लगा रखे हैं।
-राजू पंजाबी, अध्यक्ष, लालकोठी सब्जी मंडी
जो सब्जी बचती है, उसे पशुपालकों को देते हैं। मंगलवार को बंदरों को डालने जाते हैं। हमारी खुद की गाड़ी है। निगम मुख्य सड़क पर सफाई करता है। व्यापारी खुद ही सफाई करते हैं। मंडी के पीछे वाले हिस्से में गंदगी है।
बाधु राम मेहरा, कोषाध्यक्ष, श्याम नगर सब्जी मंडी
मंडी से जो कचरा निकलता है, उसे निजी फर्म के जरिये उठवाया जाता है। फर्म को छह लाख रुपए प्रति माह भुगतान किया जाता है। एक निश्चित पॉइंट पर जाकर कचरा फेंकते हैं। निगम वहां से लेकर जाता है। निगम को 250 रुपए प्रति टन का भुगतान करते हैं। -मोहन लाल जाट, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, फल सब्जी मुहाना
राजस्थान पत्रिका के ‘स्वच्छता का संस्कार’ अभियान के तहत अब कलाकार भी स्वच्छता की अलख जगाएंगे। कोई गीतों में सफाई का संदेश पिरोएगा तो कोई नुक्कड़ नाटकों से सोच बदलेगा।
पत्रिका की पहल सराहनीय है। मैं पेंटिंग के जरिये स्वच्छता की अहमियत बताऊंगा। सफाई सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि एक संस्कार है जो हर नागरिक के भीतर होना चाहिए।
हनुमान सैनी, मिनिएचर पेंटिंग कलाकार
अभियान से प्रेरित होकर मैं साथी कलाकारों और नाट्य कला के जरिये लोगों को सफाई रखने के लिए प्रेरित करूंगा। हमारा मकसद हर दिल में स्वच्छता को एक आदत व जिमेदारी के रूप में स्थापित करना है।
सिकंदर चौहान, सचिव आलारीपु रंगमंच संस्था