जयपुर में जल्द ही मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) प्लांट चालू हो जाएगा। इसके शुरू होने से प्रतिदिन 300 टन कचरे में से 80 से 90 प्रतिशत कचरे का पुन: उपयोग संभव हो सकेगा। वहीं कचरे का निस्तारण घर से शुरू हो और स्वच्छता में सहभागिता भी जरूरी है।
Rajasthan Patrika's Cleanliness' campaign: जयपुर. राजधानी में जल्द ही मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) प्लांट चालू हो जाएगा। इसके शुरू होने से प्रतिदिन 300 टन कचरे में से 80 से 90 प्रतिशत कचरे का पुन: उपयोग संभव हो सकेगा। हैरिटेज नगर निगम के अधिकारियों की देखरेख में यह प्लांट लांगड़ियावास में विकसित किया गया है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इस प्लांट के लिए 10 करोड़ रुपए का फंड दिया गया था, जबकि इसकी कुल लागत 13.55 करोड़ रुपए है।
प्लांट का कार्य दिसंबर-2023 में शुरू हुआ था और इसे 31 अगस्त 2025 तक पूरा किया जाना था, हालांकि यह निर्धारित समय से लगभग एक माह पूर्व बनकर तैयार हो गया है। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिलने के साथ ही इसे चालू कर दिया जाएगा।
शहर में होटल, रेस्टोरेंट, विवाह स्थल अथवा किसी अन्य आयोजन से निकलने वाले सूखे कचरे को इस प्लांट में लाया जाएगा। यहां कचरे की छंटाई की जाएगी और पुन: उपयोग योग्य कचरे से प्लास्टिक की कुर्सी-मेज, ट्री गार्ड आदि सामान बनाया जाएगा।
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट: एक हजार मीट्रिक टन क्षमता वाला यह प्लांट 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है। इससे कचरे के ढेर कम हो रहे हैं। फिलहाल यह प्लांट पुराने पड़े कचरे से ही बिजली बना रहा है।
सीएनडी वेस्ट प्लांट: 300 टन क्षमता वाला यह प्लांट भवनों के टूटे मलबे के निस्तारण में उपयोगी है। इस वेस्ट से ईंटें और टाइल बनाई जा रही हैं। हालांकि, यह कचरा हूपर से नहीं उठाया जाता और लोग इसे सड़क किनारे ही डाल देते हैं। इसे प्लांट तक पहुंचाने की व्यवस्था भी नगर निगम ने की है।
हर वर्ष लगभग 10 करोड़ रुपए की बचत होगी
कंपनी निगम को प्रति टन 15.50 रुपए देगी
वर्तमान में निगम प्रति टन 1700 रुपए खर्च कर रहा है
सफाई व्यवस्था में सुधार होगा
कचरे से नगर निगम को राजस्व प्राप्त होगा
पर्यावरण प्रदूषण में कमी आएगी, कचरे के पहाड़ नहीं बनेंगे
स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में सुधार होगा
शहर के दोनों नगर निगमों की सफाई समितियों के चेयरमैन अब फील्ड में उतरकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करेंगे। छह समितियों के चेयरमैन अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और सफाई व्यवस्था को लेकर लोगों को समझाइश देंगे। ग्रेटर नगर निगम सफाई समिति के चेयरमैन अभय पुरोहित ने बताया कि हाल ही समिति की बैठक में हूपर की समय पर उपलब्धता, कचरा संग्रहण और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। तय किया गया है कि समस्याओं के समाधान के लिए जल्द ठोस कदम उठाए जाएंगे। हैरिटेज नगर निगम सफाई समिति के चेयरमैन पवन शर्मा ने बताया कि वे मुख्य सब्जी मंडियों में जाकर व्यापारियों से संवाद करेंगे और वहां की गंदगी को खत्म कर आदर्श व्यवस्था विकसित की जाएगी।
राजस्थान पत्रिका के ‘स्वच्छता का संकल्प’ अभियान को शहरवासियों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। बाजारों में डस्टबिन नजर आने लगे हैं और जहां नहीं हैं, वहां लगाने की तैयारी की जा रही है। होटलों में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने जैसी पहलें की जा रही हैं।
होटल व्यवसायी पर्यटकों को भी शहर को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए जागरूक कर रहे हैं।कुछ होटल अब पर्यटकों को कपड़े का थैला भी उपलब्ध करा रहे हैं ताकि वे प्लास्टिक का उपयोग न करें और कचरा इधर-उधर न फैलाएं। कॉलोनियों और गलियों में भी लोग स्वच्छता के प्रति सजग हो रहे हैं और सफाई बनाए रखने का संकल्प ले रहे हैं।
राजधानी में प्रतिदिन 1800 टन कचरा निकलता है, जिसमें से लगभग 1000 टन का निस्तारण हो रहा है। जल्द ही 300 टन अतिरिक्त कचरे का निस्तारण भी शुरू हो जाएगा। इसके बावजूद शेष 500 टन कचरा सीधे कचरागाह पर जाएगा। इसे रोकने के लिए नागरिक सहभागिता जरूरी है, विशेषकर घरों में होम कम्पोस्टिंग को बढ़ावा देना होगा। अभी मुश्किल से एक हजार घरों में ही गीले कचरे से खाद बनाई जा रही है। रसोई से निकलने वाले गीले कचरे को अलग कर देसी तरीकों से खाद बनाना शुरू किया जाए तो न केवल कचरे की मात्रा कम होगी, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा। महिलाओं की भागीदारी से स्वच्छ जयपुर की कल्पना साकार हो सकती है।