राजधानी जयपुर में सफाई अब सिर्फ स्लोगन नहीं, संस्कार बन रही है। नगर निगम की सख्ती और जनता की जागरूकता से कई इलाकों में बड़ा बदलाव दिखा। महिलाओं ने भी 'स्वच्छता का संस्कार' अभियान में जिम्मेदारी संभाली, थैलों से सफाई की नई क्रांति शुरू की।
जयपुर: लोग गंदगी फैलाते हैं, व्यवस्था कुछ नहीं करती। ये बहाना अब जयपुर के कुछ हिस्सों में पुराना हो गया है। जहां नगर निगम ने वाकई काम किया, वहां लोगों ने भी दिखा दिया कि सफाई सिर्फ स्लोगन नहीं, संस्कार बन सकता है। फर्क सिर्फ इतना है निगम ने टाइम पर हूपर भेजा और जनता ने टाइम पर जिम्मेदारी निभाई।
जयपुर में दो नगर निगमों को अस्तित्व में आए चार वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन इस दौरान कभी भी बड़े पैमाने पर जन-जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया। अधिकतर जोन में सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। कुछ वार्डों में दिखावे के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए, फोटो खिंचवाई और ड्यूटी पूरी समझ ली गई। लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां निगम ने ईमानदारी से प्रयास किए और बदले में स्थानीय लोगों ने भी सफाई को संस्कार की तरह स्वीकार किया।
झोटवाड़ा जोन के सारथी मार्ग पर निगम ने कचरा फेंकने वालों पर सख्त कार्रवाई की। वार्ड जमादार लक्ष्मण ने एक मिष्ठान भंडार द्वारा सड़क पर कचरा डालते हुए पकड़ा। कलाकंद मिष्ठान भंडार पर 1000 रुपए और स्थानीय निवासी धर्मेंद्र कुमार पर 200 रुपए का जुर्माना लगाया गया। दोनों से सड़क पर फेंका गया कचरा खुद उठवाया गया।
क्वींस रोड स्थित पीवीसी कर्नल होशियार सिंह मार्ग पर सेना की बाउंड्री के पास वर्षों पुराना कचरा डिपो था। निगम ने इस स्थान को ‘वेस्ट टू वंडर पार्क’ में बदल दिया। खराब टायरों से गमले बनाए, उनमें पौधे लगाए गए और बैठने के लिए बेंच भी लगाई गई।
निगम ने सबसे पहले घर-घर कचरा संग्रहण की व्यवस्था को दुरुस्त किया। तय समय पर हूपर पहुंचाने की व्यवस्था की गई और इसके लिए एक मोबाइल एप भी तैयार किया गया, जिससे नागरिक हूपर की जानकारी ले सकें। शिकायत मिलने पर तीन से पांच घंटे में समाधान होने लगा। इसके चलते न सिर्फ समय पर कचरा उठने लगा, बल्कि अस्थायी कचरा डिपो पर कचरा डालना भी बंद हो गया। निगम ने सड़क किनारे बने कचरा डिपो को हटाने का कार्य भी शुरू किया और एक-एक करके कुल 58 कचरा डिपो हटाए गए।
शहर को स्वच्छता रैंकिंग में ऊपर लाने के लिए अब महिलाएं भी मोर्चा संभाल रही हैं। राजस्थान पत्रिका के ’स्वच्छता का संस्कार’ अभियान की प्रेरणा से महिलाओं ने अपने घरों, कॉलोनियों और कार्यालयों को स्वच्छ और सुंदर बनाने की जिम्मेदारी ली है।
स्वच्छता में बड़ी जिम्मेदारी जनता की है। मैं अस्पताल में मरीजों और उनके परिजन को प्रेरित करूंगी। इससे साफ-सफाई लोगों की दिनचर्या में शामिल हो सकेगी।
-डॉ. राखी आर्य, आचार्य, जनाना अस्पताल
कम से कम चार महिलाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक करूंगी। पार्षदों को भी कॉलोनियों में जाकर लोगों से साफ-सफाई की चर्चा करनी चाहिए।
-सुलभा सारड़ा, एडवोकेट
लोगों को घर और कार्यालय में साफ-सफाई के लिए जागरूक करेंगे। ’जीरो वेस्ट’ की दिशा में काम करते हुए कपड़े के थैले के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
-रिंकू बंसल, अतिरिक्त नगर नियोजक
जिस तरह घर की सफाई को महत्व दिया जाता है, उसी तरह कॉलोनी की सफाई को लेकर भी महिलाओं से संवाद किया जाएगा, ताकि मोहल्ला भी स्वच्छ और आकर्षक दिखे।
-कृष्णा शर्मा, गृहिणी, मुरलीपुरा