Jaipur Gas Tanker Blast: NHAI ने नहीं माने थे ट्रैफिक पुलिस के सुझाव, 13 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन? जयपुर-अजमेर हाईवे स्थित डीपीएस कट पर भीषण अग्निकांड के पीछे आखिर किसकी लापरवाही रही? हादसे के बाद गठित एसआइटी इसकी जांच में जुटी हुई है।
जयपुर। जयपुर-अजमेर हाईवे स्थित डीपीएस कट पर हुए भीषण अग्निकांड के बाद गठित एसआइटी जांच कर रही है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल), कंटेनर चालक और टैंकर चालक की लापरवाही किस हद तक रही।
जांच में यह आशंका जताई गई है कि कंटेनर चालक की रफ्तार 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। इस हाईवे पर कंटेनर चालक का पहले भी रफ्तार में वाहन दौड़ाने का चालान हो चुका था। हालांकि, इसके बावजूद कंटेनर मालिक ने उसे ड्यूटी पर बनाए रखा था।
प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि हादसे के बाद टैंकर चालक जयवीर को नियमानुसार पुलिस और संबंधित एजेंसियों को सूचना देनी चाहिए थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और मोबाइल बंद कर लिया। टक्कर के बाद टैंकर के तीनों वॉल्व पाइप सहित टूट गए, जबकि वॉल्व को ऑटोमैटिक रूप से बंद होना चाहिए था। अब सवाल यह है कि टैंकर की फिटनेस किसने पास की थी। इसके अलावा, एनएचएआइ के नियमानुसार यू-टर्न कट पर किस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए थी, इसकी भी जांच चल रही है।
वहीं, इस दुर्घटना के बाद एक बार फिर एनएचएआइ के नियमों में बदलाव की आवश्यकता जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि दुर्घटना से पहले भी ट्रैफिक पुलिस ने एनएचएआइ को पत्र लिखकर डीपीएस कट पर रंबल स्ट्रिप और हाईमास्ट लाइट लगाने का आग्रह किया था।
दुर्घटना के बाद केवल हैलोजन लाइट लगाई गई हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर 13 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? डीसीपी अमित कुमार ने बताया कि कट पर हुए अग्निकांड की हर एंगल से जांच की जा रही है।
एलपीजी टैंकर का चालक जयवीर भांकरोटा थाने पहुंच गया। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
शहरी क्षेत्र में से होकर गुजरने वाले बाइपास के नियमों में अब बदलाव की जरूरत है। शहरी क्षेत्र के बाइपास तिराहे-चौराहे पर रंबल स्ट्रिप, लाइट और यातायात संकेतकों की जानकारी देने वाले सूचना बोर्ड होने चाहिए। इसके अलावा, खतरनाक वस्तुओं का रात्रि में परिवहन रोकने के लिए नियमों को कड़ा किया जाना चाहिए।
भारी वाहनों के चालक 18 से 20 घंटे लगातार वाहन चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है। रात्रि 11 बजे से सुबह 6 बजे तक खतरनाक वस्तुओं का परिवहन करने वाले वाहनों को चलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। शहरी क्षेत्र में भारी वाहनों के लिए लेन सिस्टम होना चाहिए।
-दीपक चौहान, अधिवक्ता, राजस्थान हाईकोर्ट