Maternal and Child Health: 94.9% संस्थागत प्रसव से मजबूत हुआ मातृ-शिशु स्वास्थ्य तंत्र, नि:शुल्क जांच और उपचार से सुरक्षित मातृत्व की दिशा में बड़ा कदम, 42 एमसीएच इकाइयों और 160 एफआरयू केन्द्रों से मिल रही विशेषज्ञ सेवाएं, मा-वाउचर योजना से लाखों गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क सोनोग्राफी का लाभ।
Public Health Rajasthan: जयपुर। प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं लगातार बेहतर हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के नवाचार और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से प्रदेश में मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से भी कम हो गई है।
हाल ही में जारी एसआरएस सर्वे के अनुसार राजस्थान में मातृ मृत्यु दर घटकर 86 प्रति एक लाख जीवित जन्म दर्ज की गई है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कम है। यह स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े सुधार का संकेत है।
एनएफएचएस-5 सर्वे के अनुसार राजस्थान में 94.9 प्रतिशत प्रसव संस्थागत हो रहे हैं। प्रदेश में कुल 2065 डिलीवरी प्वाइंट संचालित हैं, जहां सुरक्षित प्रसव के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
प्रत्येक गर्भवती महिला की 4 बार अनिवार्य जांच, आयरन-फोलिक एसिड और डीटी के टीके उपलब्ध कराए जाते हैं। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत दवा, जांच, प्रसव के दौरान भोजन और आवश्यकता पडऩे पर नि:शुल्क रक्त तक की सुविधा दी जा रही है।
राज्य में 42 एमसीएच इकाइयां, 114 जेएसवाई वार्ड और 160 एफआरयू केन्द्र स्वीकृत हैं। इनमें से 106 केन्द्रों पर सिजेरियन विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध हैं। लक्ष्य कार्यक्रम के तहत 95 लेबर रूम और 44 ऑपरेशन थिएटर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित किया गया है।
राज्य सरकार ने गांव-कस्बों की महिलाओं को राहत देने के लिए "मा-वाउचर योजना" शुरू की है। अब तक 2 लाख से अधिक वाउचर जारी किए जा चुके हैं, जिनसे 1.5 लाख गर्भवती महिलाओं ने नि:शुल्क सोनोग्राफी का लाभ उठाया है।