इस सप्ताह महापौर सौम्या गुर्जर नए कार्यालय से कामकाज शुरू करेंगी। कुछ लोग इस बदलाव को महापौर के भविष्य की राजनीति से जोड़कर भी देख रहे हैं।
Jaipur Politics: जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर का हाल ही बना नया कार्यालय चर्चा का विषय है। निगम मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में नया महापौर कार्यालय तैयार करवाया गया है। वास्तु जानकारों की मानें तो यह कोना गृह स्वामी (मुख्य व्यक्ति या घर का मालिक) के लिए उपर्युक्त और शक्तिशाली माना जाता है। नया कार्यालय बनाने में करीब छह लाख रुपए खर्च हुए हैं। कुछ सामान पुराने दफ्तर से ही शिफ्ट किया गया है।
सूत्रों की मानें तो इस सप्ताह महापौर सौम्या गुर्जर नए कार्यालय से कामकाज शुरू करेंगी। कुछ लोग इस बदलाव को महापौर के भविष्य की राजनीति से जोड़कर भी देख रहे हैं।
मोहनलाल गुप्ता: तीन बार किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे।
अशोक परनामी: दो बार आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे।
अशोक लाहोटी: एक बार सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे।
शील धाभाई: वर्ष 2003 में कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली।
ज्योति खंडेलवाल: कांग्रेस ने वर्ष 2019 में जयपुर से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया। परंतु वे चुनाव नहीं जीत पाईं।
घूमती रही महापौर की कुर्सी
शहरी सरकार के इतिहास पर नजर डालें तो सौम्या गुर्जर पहली महापौर नहीं हैं, जिन्होंने अपने कार्यालय में दफ्तर बदला है। महापौर की कुर्सी इधर से उधर घूमती ही रही है। इस प्रयोग से महापौर का राजनीतिक कॅरियर भविष्य में भले ही चमका हो, लेकिन जनता को कोई खास फायदा नहीं हुआ।
सैकड़ों लोग पट्टे के लिए रोज जोन कार्यालय से लेकर मुख्यालय में घूम रहे हैं।
घर-घर कचरा संग्रहण पर प्रति माह छह से सात करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके बाद भी कचरा डिपो सड़कों से खत्म नहीं हुए।
स्ट्रीट लाइट से लेकर सीवर चोक और अवैध निर्माण की शिकायतें पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
नाला सफाई के नाम पर हर वर्ष पांच से सात करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी शहर डूब जाता है।