जयपुर

साल 2022 के इस मामले में फंसे ‘निर्मल चौधरी’, पेपर देते वक्त हिरासत में लिया; जानें उस दिन की पूरी कहानी

राजस्थान विश्वविद्यालय में एग्जाम देने आए निर्मल चौधरी को पुलिस जीप में पकड़कर ले गई।

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Jun 21, 2025
Photo- niramal choudary Facebook

Nirmal Choudhary News: राजस्थान यूनिवर्सिटी के निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी को पुलिस ने हिरासत में लिया है। राजस्थान विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र का फोर्थ सेमिस्टर का एग्जाम देने आए निर्मल चौधरी को पुलिस जीप में पकड़कर ले गई। इस दौरान कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया भी पेपर देन आए हुए थे। डीसीपी जयपुर ईस्ट तेजस्विनी गौतम का कहना है कि कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वे खुद पुलिस की जीप में बैठे थे।

निर्मल चौधरी को 2022 के उस मुकदमे में डिटेन किया गया है जिसमें उन्होंने पुलिस की जीप तोड़ कर डीएसपी मुकेश चौधरी को घायल किया था। छात्र नेता निर्मल चौधरी पर साल 2022 में एक मुकदमा गांधी नगर पुलिस थाने में दर्ज हुआ था। जिसमें एसएचओ की वर्दी फाड़ने, राजकार्य में बाधा पहुंचाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप हैं।

छात्र नेताओं ने पुलिस पर किया हमला…

22 अगस्त 2022 को राजस्थान यूनिवर्सिटी में चुनावों से पहले नामांकन के पहले दिन रैली निकाली जा रही थी। इस दौरान पुलिस और छात्रों की नोक-झोंक हुई थी। बताया गया कि छात्र और नेता बिना अनुमति के रैली निकाल रहे थे। जिसके बाद पुलिस ने एक्शन लिया था। इस हिंसक झड़प में डीएसपी मुकेश चौधरी का सिर फूट गया था। वहीं, पुलिस ने भी स्टूडेंट्स पर जमकर लाठियां भांजी थी। कई स्टूडेंट्स को भी चोट आई थी।

निर्दलीय जीते निर्मल चौधरी

साल 2022 में राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुनाव में निर्मल चौधरी ने निर्दलीय जीत दर्ज की थी। उन्होंने एकतरफा जीत हासिल करते हुए निकटतम प्रतिद्वंदी मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल को 1465 मतों से हराया था। एनएसयूआई की प्रत्याशी रितु बराला तीसरे स्थान पर रही जबकि एबीवीपी के नरेंद्र यादव चौथे स्थान पर रहे।

निर्मल चौधरी को हिरासत में लिए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा- ‘यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष एवं विधायक अभिमन्यु पुनिया एवं निर्मल चौधरी को परीक्षा देते समय हिरासत में लेना अन्यायपूर्ण व लोकतंत्र का उल्लंघन है। भाजपा सरकार ने पहले डॉ राकेश विश्नोई के परिजनों की बात तक नहीं सुनी और जब इन जनप्रतिनिधियों ने उनके साथ न्याय के लिए धरना-प्रदर्शन किया तो इन पर ही मुकदमा दर्ज कर लिया। जनप्रतिनिधियों को जनहित में आवाज उठाने का अधिकार है। राज्य सरकार अविलंब इन्हें रिहा करे।’

Updated on:
21 Jun 2025 01:02 pm
Published on:
21 Jun 2025 01:00 pm
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