Rajasthan Vidhan Sabha Bypolls 2024 : लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है। प्रदेश के नए प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तीन महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों का दौरा किया है।
Rajasthan Vidhan Sabha Bypolls 2024 : जयपुर। लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधानसभा उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है। प्रदेश के नए प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तीन महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों का दौरा किया है, जहां उन्होंने बीजेपी की रणनीति को धार देने के साथ ही जिताऊ चेहरों की तलाश शुरू कर दी है।
गोरखपुर से आए प्रभारी अग्रवाल ने अपने उग्र हिंदुत्ववादी भाषणों के जरिए चुनावी क्षेत्रों में हिंदुत्व का तड़का लगाना शुरू कर दिया है। वहीं, बीजेपी जम्मू-कश्मीर के चुनावों में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को प्रमुख मुद्दा बनाएगी।
बीजेपी के लिए ये छह विधानसभा उपचुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं हैं। इनमें से पांच सीटें वर्तमान में विपक्ष के पास हैं, और केवल सलूंबर सीट ही बीजेपी के खाते में है। इन उपचुनावों में जीत दर्ज करना बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसके लिए पार्टी ने अपनी रणनीति को लेकर बेहद सतर्कता बरतने का फैसला किया है।
प्रदेश के नए प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ ने टोंक, दौसा और झुंझुनूं का दौरा कर वहां की राजनीतिक नब्ज टटोली। खासतौर पर झुंझुनूं में, जहां उन्होंने उग्र हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस पर तीखे हमले किए। उन्होंने पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के बयानों का जवाब देते हुए बीजेपी के हिंदुत्ववादी चेहरे को प्रखर किया।
बीजेपी के आलाकमान ने इस बार लोकसभा चुनाव में हार के कारणों का गहराई से विश्लेषण करने का निर्णय लिया है, ताकि भीतरघात करने वाले नेताओं की पहचान की जा सके। ऐसे नेताओं को उपचुनाव में टिकट नहीं देने की संभावना पर भी विचार हो रहा है।
बीजेपी ने इन उपचुनावों के लिए 'डबल इंजिन की सरकार' का नारा दिया है। पार्टी ने जोरशोर से प्रचार करना शुरू कर दिया है कि डबल इंजन सरकार के कारण क्षेत्र में विकास को नए पंख लगेंगे। ERCP योजना का लाभ दौसा और देवली उनियारा तक पहुंचने की बात हो, या यमुना जल का लाभ झुंझुनूं को मिलने का वादा-बीजेपी ने विकास को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
राधा मोहन दास अग्रवाल और मदन राठौड़ की मेहनत और भागदौड़ जारी है, लेकिन जिताऊ चेहरा ढूंढना अभी भी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। खासकर उन विधानसभा सीटों पर जहां बीजेपी लगातार हार का सामना कर रही है, वहां ठोस इच्छा शक्ति दिखाने की आवश्यकता है। इन उपचुनावों में बीजेपी की सफलता तय करेगी कि पार्टी राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनावों में कितनी मजबूती से खड़ी हो सकेगी।