Rajasthan News : राजस्थान में इस सत्र भी शिक्षा विभाग स्कूलों की मनमानी पर लगाम नहीं लगा पाया। जब अभिभावकों की जेब कटी तब चेते। इसके बाद शिक्षा विभाग ने दिखावटी आदेश जारी किया। जानें क्या है पूरा मामला।
Rajasthan News : राजस्थान में इस सत्र भी शिक्षा विभाग स्कूलों की मनमानी पर लगाम नहीं लगा पाया। स्कूलों की ओर से मनमाने दामों पर किताब, ड्रेस आदि खरीदने के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाया गया। इतना ही नहीं सत्र शुरू होने के बाद अभिभावकों को मजबूरन स्कूलों की मनमानी के आगे झुकना पड़ा। इसे रोकने के लिए शिक्षा विभाग को एक महीने पहले ही स्कूलों पर सख्ती करनी थी। लेकिन सत्र शुरू होने के 10 दिन बाद विभाग ने दिखावटी आदेश जारी किया है। इस बीच निजी स्कूलों ने एक अप्रेल से ही नया सत्र शुरू कर दिया और कक्षाएं शुरू कर दीं। अभिभावकों ने बच्चों की फीस से लेकर किताबों और ड्रेस का भुगतान भी कर दिया। विभाग की ओर से देरी से निकाले गए आदेश पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने जितने भी निर्देश दिए हैं, उनकी पालना नहीं की जा रही है। स्कूलों ने परिसर में ही दुकानें खोल रखी हैं। तीन की जगह सिर्फ एक ही दुकान पर स्कूल सामग्री मिल रही है। शिक्षा विभाग की ओर से शहर में स्कूलों की जांच तक नहीं जाती। न ही अभिभावकों से रिपोर्ट ली जाती है।
1- निजी विद्यालय जिस भी बोर्ड से सम्बद्धता प्राप्त हैं, उनके नियमों व उपनियमों की पालन करते हुए उनके पाठ्यक्रम के अनुसार प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों को विद्यार्थियों के शिक्षण के लिए लागू करनी होगी। इन पुस्तकों की सूची लेखक, प्रकाशक के नाम और मूल्य के साथ नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर सत्र शुरू होने के एक माह पूर्व प्रदर्शित करनी होगी। इससे सुविधानुसार खुले बाजार से पुस्तक खरीदी जा सकेंगी।
2- निजी विद्यालयों की ओर से तय यूनिफॉर्म, टाई, जूते, कापियों आदि विद्यार्थी अभिभावक खुले बाजार से खरीदने को स्वतंत्र होंगे।
3- शिक्षण सामग्री पर स्कूल का नाम अंकित नहीं होगा। किसी भी दुकान विशेष से पुस्तकें व अन्य सामग्री खरीदने का दबाव नहीं बनाया जाएगा। शाला परिसर में खरीदारी के लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा।
4- विद्यार्थियों के लिए तय की जाने वाली यूनिफॉर्म 5 वर्षों तक बदली नहीं जाएगी।
5- निजी स्कूल यह तय करेंगे कि पाठ्य पुस्तकें, यूनिफॉर्म 3 विक्रेताओं के पास उपलब्ध होनी चाहिए।
निजी स्कूलों से मिलीभगत का खेल है। हर बार देरी से आदेश जारी किए जाते हैं। अभिभावकों से वसूली की जा रही है।
अभिषेक जैन, प्रवक्ता, संयुक्त अभिभावक संघ
सरकारी स्तर पर सहयोग नहीं मिलता। शिक्षा विभाग यदि सख्ती से निर्देशों की पालना कराए तो राहत मिले।
दिनेश कांवट, अध्यक्ष, पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी